संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने वर्ष 2015 में ‘टिकाऊ विकास लक्ष्यों’ को आकार दिया था जिसमें दुनिया में गरीबी समाप्त करने, पृथ्वी की सुरक्षा और सभी का कल्याण एवं समृद्धि सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था.

नई दिल्ली: 

विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने सोमवार को कहा कि आपूर्ति शृंखला में बाधा, लम्बा कर्ज संकट और ऊर्जा, खाद्य एवं उर्वरक सुरक्षा पर दबाव के मद्देनजर वैश्विक आर्थिक सुधार की संभावना धीमी बनी हुई है और ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुटता के साथ वैश्विक स्तर पर कदम उठाने की जरूरत है. जी- 20 (G- 20) के विकास मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने यहां कहा कि भारत ने टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्रगति को गति प्रदान करने के लिए महत्वाकांक्षी सात वर्षीय कार्य योजना तैयार की है जिसमें जी- 20 गतिविधियों के लिए समन्वित एवं समावेशी खाका पेश किया गया है.

उन्होंने कहा कि इस रूपरेखा में डिजिटल सार्वजनिक आधारभूत ढांचा, विकास के लिए डाटा को मजबूत करने, महिला नीत विकास के लिए निवेश और पृथ्वी की सुरक्षा के लिए ऊर्जा संसाधनों के परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया गया है. जयशंकर ने कहा, ‘‘महामारी से लेकर आपूर्ति शृंखला बाधा तक, संघर्ष के प्रभाव से लेकर जलवायु से जुड़ी घटनाओं तक दुनिया आज अभूतपूर्व एवं विविध संकटों का सामना कर रही है, वहीं हमारा युग दिन प्रतिदिन अधिक परिवर्तनशील और अनिश्चित होता जा रहा है.”

उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कई देशों पर बढ़ती महंगाई, बढ़ती ब्याज दर और सिकुड़ते राजकोष का प्रभाव पड़ा है. ऐसे समय में हमेशा की तरह ही कमजोर सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं.”विदेश मंत्री ने कहा कि कोविड-19 से पहले एसडीजी में प्रगति पिछड़ रही थी और इस कारण समस्या और बढ़ी है. जयशंकर ने कहा कि आपूर्ति शृंखला में बाधा, कर्ज संकट और ऊर्जा, खाद्य एवं उर्वरक सुरक्षा पर दबाव के मद्देनजर वैश्विक आर्थिक सुधार की संभावना धीमी बनी हुई है.

गौरतलब है कि वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने ‘टिकाऊ विकास लक्ष्यों’ को आकार दिया था जिसमें दुनिया में गरीबी समाप्त करने, पृथ्वी की सुरक्षा और सभी का कल्याण एवं समृद्धि सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था. उन्होंने कहा कि जी20 की विकास मंत्री स्तरीय बैठक से विकास से जुड़े इन मुद्दों पर एकजुटता प्रदर्शित करने का अवसर मिला है.

उन्होंने कहा, ‘‘आज जो हम निर्णय करेंगे, उसमें समावेशी, टिकाऊ और लचीले भविष्य के लिए योगदान देने की क्षमता होगी.”विदेश मंत्री ने कहा कि कम विकासित और छोटे विकासशीज द्वीपीय देशों पर जलवायु परिवर्तन का अभूतपूर्व प्रभाव पड़ना जारी है. उन्होंने कहा, ‘‘एसडीजी एजेंडा न केवल सार्वभौमिक रूप से मील का पत्थर है जो सभी देशों पर लागू होता है बल्कि यह समग्र एजेंडे के रूप में सफल हो सकता है.”

जयशंकर ने कहा कि दुर्भाग्य से वर्ष 2015 में इसके अंगीकार के बाद से हमने देखा है कि न केवल राजनीतिक गति धुंधली हुई है बल्कि अंतररराष्ट्रीय प्राथमिकताओं के खंडित होने की बात भी देखी गई है जहां कुछ लक्ष्य दूसरों से अधिक महत्वपूर्ण रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रकार से चुनिंदा बातें हमारे सामूहिक हित में नहीं हैं.”

विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया जब एक दूसरे से जुड़ी विविध समस्याओं से जूझ रही है, तब हमारे सामने टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्रकृति से जुड़ा कष्टकारक चित्रण है. उन्होंने कहा, ‘‘इस परिप्रेक्ष में भारत ने एसडीजी में प्रगति को गति प्रदान करने के लिए सात वर्षीय महत्वाकांक्षी कार्ययोजना पेश की है जो जी20 से जुड़ी गतिविधियों के लिए समन्वित, समावेशी खाका प्रस्तुत किया है. यह कार्य योजना न केवल जी20 एजेंडे के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है बल्कि इसके तीन मुख्य एजेंडे पर परिवर्तनकारी कार्रवाई पेश करता है.”

जयशंकर ने कहा कि इसमें पहला क्षेत्र विकास के लिए डाटा एवं डिजिटल सार्वजनिक आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाने के लिए निर्णायक कार्रवाई, दूसरा क्षेत्र महिला नीत विकास और तीसरा क्षेत्र वैश्विक समतामूलक परिवर्तन है जिससे भविष्य में पृथ्वी के अस्तित्व को सुरक्षित बनाने में मदद मिले.

भारत 11-13 जून तक जी20 समूह के देशों के विकास मंत्रियों की तीन दिवसीय बैठक की मेजबानी वाराणसी में कर रहा है. इसमें वैश्विक आपूर्ति शृंखला, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा चुनौतियों, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है. भारत की मेजबानी में जनवरी में आयोजित ‘वॉयस आफ ग्लोबल साउथ सम्मेलन’ के बाद जी20 के विकास मंत्रियों की बैठक का आयोजन किया जा रहा है और वाराणसी की बैठक में लिये जाने वाले फैसले टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर सितंबर में आयोजित होने वाले संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में योगदान करेंगे.

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