केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्षी दलों से नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया.

नई दिल्‍ली: 

विपक्ष के 19 दलों ने संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का बुधवार को सामूहिक रूप से बहिष्कार करने का ऐलान किया है. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को 19 विपक्षी दलों के नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने के फैसले को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया और उनसे अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. विपक्षी दलों का तर्क है कि नए संसद भवन के उद्घाटन का सम्मान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को मिलना चाहिए, क्योंकि राष्ट्रपति न केवल राष्ट्राध्यक्ष होते हैं, बल्कि वह संसद का अभिन्न अंग भी हैं, क्योंकि वही संसद सत्र आहूत करते हैं, उसका अवसान करते हैं और साल के पहले सत्र के दौरान दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित भी करते हैं.

प्रह्लाद जोशी ने यहां पत्रकारों से चर्चा में कहा, “बहिष्कार करना और गैर-मुद्दे को मुद्दा बनाना सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं उनसे इस फैसले पर पुनर्विचार करने और समारोह में शामिल होने की अपील करता हूं.” जोशी ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष संसद के संरक्षक हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री को संसद भवन का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया है.

नए संसद भवन उद्धाटन समारोह में ये दल नहीं हो रहे शामिल
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (द्रमुक), जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेंस, केरल कांग्रेस (मणि), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल काट्ची (वीसीके), मारुमलार्ची द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) और राष्ट्रीय लोकदल ने संयुक्त रूप से बहिष्कार की घोषणा की है.

विपक्षी दलों ने लगाया ये आरोप
विपक्ष के 19 दलों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है. हमारे इस विश्वास के बावज़ूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है और जिस निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया था, उससे हमारी अस्वीकृति के बाद भी हम अपने मतभेदों को दूर करने और इस अवसर को चिह्नित करने के लिए तैयार थे.’ इन दलों ने बयान में आरोप लगाया, “राष्ट्रपति मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए, नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय न केवल राष्ट्रपति का घोर अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जो इसके अनुरूप प्रतिक्रिया की मांग करता है.’ उनके मुताबिक, भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 में कहा गया है कि ‘संघ के लिए एक संसद होगी, जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन होंगे जिन्हें क्रमशः राज्यों की परिषद और लोगों की सभा के रूप में जाना जाएगा.”

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