यह वाक्या प्रदेश के पेंड्रा ब्लॉक के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित प्राथमिक शाला कंचनडीह में देखा गया। जहां बच्चे मध्यान्ह भोजन खाने के बाद अपने अपने बर्तनों के साथ भोजन पकाने में उपयोग किये गये जूठे बर्तनों को भी धोते कैमरे में कैद हुए।
जब बच्चों से जूठे बर्तन धोने का कारण पूछा गया तो बच्चों ने शाला के शिक्षक रामप्रसाद ओटी के कहने और रसोइया का मदद करना बताया।बच्चों ने यहां तक बताया कि शिक्षक का आदेश नहीं मानने पर शिक्षक के द्वारा उन्हें दंड भी दिया जाता है।
सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के बालकों को अद्र्धावकाश में नित्य पोषाहार (मिड डे मील) दिया जाता है। पोषाहार के लिए स्कूलों में प्लेट, कटोरी, चम्मच आदि बर्तनों की व्यवस्था है। भोजन के बाद जूठे बर्तनों को धोने की जिम्मेदारी बच्चों पर डाल दी गई है। नलों के आगे बर्तन धोते इन बच्चों को कतारबद्ध देखा जा सकता है। अमूमन कई जगह तो बच्चों पर ही भोजन परोसने की जिम्मेदारी है।