कई जगहों पर बचाव कर्मी मलबे के भीतर आवाज देते नजर आते हैं. इस उम्मीद में कि कोई जवाब दे. इस दौरान चारों तरफ ख़ामोशी बरती जाती है.

नई दिल्ली: 

तुर्की और सीरिया में आए भूकंप के 10वें दिन मलबे से दो महिलाओं को जिंदा निकाला गया. यह किसी चमत्कार से कम नहीं है. सोमवार 8 फ़रवरी को आए विनाशकारी भूकंप में मरने वालों की तादाद 41 हजार का आंकड़ा पार कर चुकी है. जैसे-जैसे मलबा हटाया जा रहा है, मृतकों की तादाद बढ़ती जा रही है.

तुर्की में भूकंप का केंद्र रहे कहरामरास में 222 घंटे बाद 42 साल और 77 साल की दो महिलाओं को मलबे से ज़िंदा बचाया गया. बचाव दल और परिजनों के लिए ये किसी चमत्कार से कम नहीं है. इसी तरह तुर्की के ही हाताए में मलबे के अंदर दबी एक महिला और उसके दो बच्चों को 228 घंटे बाद जिंदा बचाया गया. एक आंकड़े के मुताबिक, भूकंप के 141 घंटे के बाद से 228 घंटे बाद तक 63 लोगों को जिंदा निकाला गया है.

हालांकि, तुर्की में आए इस भूकंप के बाद एक तरफ़ चमत्कार तो दूसरी तरफ़ हृदय विदारक बेबसी भी देखने को मिली है.  एक शख़्स कंक्रीट के मलबे को हचाते हुए अपनों को आवाज लगाते नजर आया. काफी देर तक आवाज लगाने के बाद भी जवाब नहीं  मिलने पर हिम्मत हार कर बैठ जाता है. कई जगहों पर बचाव कर्मी मलबे के भीतर आवाज देते नजर आते हैं. इस उम्मीद में कि कोई जवाब दे. इस दौरान चारों तरफ ख़ामोशी बरती जाती है. भूकंप ने तुर्की और सीरिया के करीब 500 किलोमीटर की परिधि में रहने वालों को तबाह किया है. यहां जिंदगी सामान्य होने में सालों लग जाएंगे. अपनों को खोने का दर्द तो ताउम्र साथ रहेगा ही.

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