रायपुर. राजधानी में जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने शहर के कई स्थानों में नेकी की दीवार बनाई। शुरुआती दिनों में इसे बेहतर प्रतिसाद भी मिला, लेकिन अब इन स्थानों पर सिर्फ दीवार ही नजर आती है, नेकी गायब होने लगी है। नेकी की दीवारों पर लापरवाही और उदासीनता की ऐसी धूल जमी है कि न कोई यहां सामान छोड़ने आ रहा है, न जरूरतमंद लेने ही आ रहे हैं। ये हम नहीं कह रहे, नेकी की दीवार की ताजा हालत अपनी कहानी खुद बयां कर रही है। पहले यहां लोग ओढ़ने बिछाने के कपड़े दीवार पर टांगकर चले जाते। खिलाैने से लेकर, जूता चप्पल भी छोड़ जाते। पर डेढ़ साल से नेकी की दीवार दानदाताओं की दीदार के लिए तरस गई है। कहीं नेकी के नाम पर मैले कुचैले कपड़े बिखरे नजर आते हैं, तो कहीं पूरा दीवार ही सूना पड़ गया है।
जमीन पर बिखरे कपड़े
गांधी उद्यान के पास सबसे पहले तैयार की गई नेकी की दीवार के सामने जमीन पर मैले कुचैले कपड़ों का ढेर लगा है। जिसे व्यवस्थित करने ना तो निगम को फुरसत है, न उद्यान वालों को इसकी परवाह है। बारिश में दान किए गए कपड़े भीगकर खराब हो रहे हैं। जिसे बचाने शेड तक नहीं है। सूत्रों के मुताबिक 38 लाख खर्च कर रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड वर्ष 2018 में शहर के दो स्थानों पर नेकी की दीवार बनाई थी। शुरुआती दिनों में इसे खूब सराहा गया, लेकिन अब लोगों ने इससे मुंह मोड़ लिया है।
नेकी की गाड़ी शहर से गायब
3 साल पहले शहर की स्वयंसेवी संस्थाओं की पहल पर शहर के मोहल्लों में प्रति रविवार लोगों के घरों तक नेकी की गाड़ी पहुंचा करती थी। जिसमें लोग जरूरतमंदों के लिए पुराने कपड़े, चादर, कंबल से लेकर जूते, चप्पल सहित जरूरी सामान खुशी-खुशी दिया करते थे। नेकी की गाड़ी की खूब चर्चा शहर में रही। पर कुछ समय से शहर में नेकी की गाड़ी नदारद है।
खाली पड़ी नेकी की दीवार
शहर के जीई रोड स्थित अनुपम उद्यान के पास 2018 में रायपुर स्मार्ट सिटी ने जरूरतमंदों को राहत देने नेकी की दीवार तैयार की। सुंदर लैंड स्केपिंग तैयार हुआ। झोपड़ी नुमा आकृति वाले हिस्से में आकर्षक स्लोगन तो नजर आ रहा है। पर जिस दीवार पर पहले बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गो के लिए दान किए कपड़े हुआ करते थे, वह दीवार अब पूरी तरह खाली है। परिसर की एक अरसे से सफाई तक नहीं हुई। नेकी की दीवार की मानिटरिंग का जिम्मा संबंधित जोन का है, लेकिन एक भी कर्मचारी यहां झांकने नहीं आते।