मध्यप्रदेश सरकार ने मृत सरकारी कर्मचारियों की विवाहित बेटियों को बेटे की तरह अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने का समान अधिकार मिले इसके लिए मंगलवार को नियमों में संशोधन करने का निर्णय किया.

भोपाल: 

मध्यप्रदेश सरकार ने मृत सरकारी कर्मचारियों की विवाहित बेटियों को बेटे की तरह अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने का समान अधिकार मिले इसके लिए मंगलवार को नियमों में संशोधन करने का निर्णय किया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में यहां हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘कैबिनेट ने फैसला किया है कि बेटों की तरह विवाहित बेटियों को भी अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति पाने का समान अधिकार है.’

उन्होंने कहा कि सामान्य प्रशासन विभाग को नियमों में आवश्यक संशोधन करने का निर्देश दिया गया है. इस साल की शुरुआत में मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने सरकार को मृत कर्मचारी की विवाहित बेटी को नौकरी देने का निर्देश दिया था. अधिकारियों ने कहा कि कैबिनेट ने मंगलवार को अदालत के फैसले का हवाला देते हुए इसे आधिकारिक नीति बनाने का फैसला किया. सरंग ने कहा कि कैबिनेट ने आजीविका प्रदान करने के लिए बैगा, सहरिया और भारिया आदिवासी समुदायों के पात्र परिवारों को दुधारू मवेशी प्रदान करने का भी निर्णय लिया.

सारंग ने कहा कि योजना के तहत प्रत्येक परिवार को दो दुधारू पशु दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि दूध, गोबर, गोमूत्र सहित पशु उत्पादों को सहकारी समितियों के माध्यम से बाजार से जोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने सूराज नीति-2023 को भी मंजूरी दी है. इसमें मुख्यमंत्री द्वारा पूर्व में घोषित गरीबों को आवास के लिए अतिक्रमण से मुक्त भूमि प्रदान करने की योजना है.

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