गुजरात दंगों पर बनी BBC डॉक्यूमेंट्री पर बैन के ख़िलाफ़ पत्रकार एन राम, प्रशांत भूषण, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के अलावा वकील एमएल शर्मा ने याचिका दाख़िल कर बैन को मनमाना, दुर्भावनापूर्ण और असंवैधानिक बताया है.

नई दिल्ली: 

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री बैन के केंद्र के फैसले का सुप्रीम कोर्ट परीक्षण करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई में केंद्र से बैन संबंधी पूरा ऑरिजिनल रिकॉर्ड मांगा है. केंद्र सरकार से 3 हफ्ते में जवाब मांगा गया है. इस मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में होगी. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले सुनवाई से इनकार किया.

सुनवाई के दौरान एन राम के वकील ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री को लेकर यूनिवर्सिटी में छात्रों को प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्हें यूनिवर्सिटी से निकालने तक की धमकी दी जा रही है. इस पर कोर्ट ने कहा कि हम इस विषय पर सुनवाई नही करेंगे, केवल प्रतिबंध की कानूनी वैधता पर सुनवाई करेंगे.

आपको बता दें कि गुजरात दंगों पर बनी BBC डॉक्यूमेंट्री पर बैन के ख़िलाफ़ याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में पत्रकार एन राम, प्रशांत भूषण, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के अलावा वकील एमएल शर्मा ने याचिका दाख़िल कर बैन को मनमाना, दुर्भावनापूर्ण और असंवैधानिक बताया है. वकील शर्मा ने डॉक्यूमेंट्री में दिए गए सबूतों के आधार पर एक SIT के ज़रिए जांच करा कर गुजरात दंगों के दोषियों को सज़ा दिलाने की भी मांग की है.

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