मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों में विचरण कर रहे वन्यप्राणियों की निगरानी, शिकार की रोकथाम, सुरक्षा, मानव-वन्यप्राणी द्वंद, वन अपराध नियंत्रण पर की गई विस्तृत चर्चा

भोरमदेव अभ्यारण्य चिल्फी परिक्षेत्र के अंतर्गत लोक निर्माण विभाग के विश्राम भवन चिल्फी में 09 दिसंबर को ‘‘मानव-वन्यजीव द्वंद एवं वन्यप्राणी अपराध नियंत्रण विषय पर‘‘ मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती वन अधिकारियों की एक दिवसीय संयुक्त बैठक संपन्न हुई। बैठक में उपस्थित अधिकारियों के द्वारा मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों में विचरण कर रहे हाथी, शेर व अन्य वन्यप्राणियों निगरानी, सुरक्षा, मानव-वन्यप्राणी द्वंद, वन्यप्राणी शिकार की रोकथाम, वन अपराध पर नियंत्रण आदि बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा की गयी।
वनमण्डलाधिकारी कवर्धा श्री चूड़ामणि सिंह (भा.व.से.)  ने सर्वप्रथम श्री उपेन्द्र दुबे, डब्लूडब्लूएफ इंडिया  के द्वारा पावर प्वाईंट प्रस्तुतीकरण के माध्यम से अचानकमार टायगर रिजर्व, फेन अभ्यारण्य, कान्हा टायगर रिजर्व म.प्र. और भोरमदेव अभ्यारण्य के कोरीडोर में विचरण कर रहे शेर हाथियों की गतिविधियों पर जानकारी दी। श्री बी.पी.सिंह (भा.व.से.) मुख्य वन संरक्षक के द्वारा वन्यप्राणी टकराव एवं प्राकृतिक रहवास के संबंध में जानकारी दी ।
क्षेत्र संचालक, कान्हा टायगर रिजर्व म.प्र के श्री एस.के.सिंह (भा.व.से.)  द्वारा कान्हा टायगर रिजर्व, फेन वन्यप्राणी अभ्यारण्य, भोरमदेव अभ्यारण्य अचानकमार टायगर रिजर्व, खैरागढ़, राजनांदगांव कवर्धा एवं डिंडौरी वनमंडल के लगभग 250 सीमावर्ती ग्रामों में वन्यप्राणियों अपराध पर नियंत्रण पर चर्चा तथा सुझाव दिए। वन्यप्राणियों से आमजनों को क्षति न हो इस पर वन्यप्राणियों की सतत् निगरानी, सुरक्षा के उपायों एवं आमजनो को जागरूक करने प्रचार-प्रसार आदि पर चर्चा किया गया।  विदित है कि गौरेला-पेण्ड्रा मरवाही से अचानकमार टायगर रिजर्व-पंडरिया-तरेगांव-फेन अभ्यारण्य की तरफ होते हुए कान्हा टायगर रिजर्व से वापस उसी रूट पर विचरण करते रहते हैं जिससे आस-पास के गांव में जनहानि-पशुहानि की संभावना बनी रहती है इसमें जागरूकता के विषय पर एवं मध्यम प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के बीच समय पर सूचनाओं के आदान-प्रदान करने पर चर्चा किया गया जिससे हाथी-मानव द्वंद को नियंत्रित एवं कम किया जा सके। अन्य उपस्थित अधिकारियों के द्वारा चर्चा की गयी जिसमें हाथियों के विचरण के समय स्थानीय नागरिकों को बचने के उपाय, जागरूकता, क्षेत्रीय कर्मचारियों को प्रशिक्षण, वन्यप्राणियों की शिकारियों से सुरक्षा, शिकारियों की पहचान कर आवश्यक कार्यवाही करने, संयुक्त क्षेत्रीय भ्रमण की रूपरेखा तैयार कर भ्रमण करने, वनवासियों में अंधविश्वास को दूर करने हेतु जागरूकता कराने, पारिस्थिकीय पर्यटन को प्रारंभ करने, घास एवं जंगल मैदान की पहचान कर गणना करना आदि पर विस्तृत चर्चा किया गया।बैठक में प्रमुख रूप से श्रीमती प्रणीता पाल (भा.व.से.) मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी एवं क्षेत्र संचालक, उदन्ती-सीतानदी टायगर रिजर्व छ.ग. रायपुर, श्री बी.पी.सिंह (भा.व.से.) मुख्य वन संरक्षक, दुर्ग वृत्त दुर्ग, श्री एस.के.सिंह (भा.व.से.) क्षेत्र संचालक, कान्हा टायगर रिजर्व म.प्र., श्री पूनित गोयल (भा.व.से.) वनमण्डलाधिकारी पूर्व मण्डला, श्री अभिवन (भा.व.से.) वनमण्डलाधिकारी उत्तर बालाघाट, श्री साहिल गर्ग (भा.व.से.) वनमण्डलाधिकारी डिंडोरी, श्री चूड़ामणि सिंह (भा.व.से.) वनमण्डलाधिकारी कवर्धा, श्रीमती सलमा फारूकी (भा.व.से.) वनमण्डलाधिकारी राजनांदगांव, श्री आयुष जैन, वनमण्डलाधिकारी, बालोद, श्रीमती पुष्पलता   (भा.व.से.) वनमण्डलाधिकारी खैरागढ़, श्री सोमन डे डब्लूडब्लूएफ इंडिया  , श्री उपेन्द्र दुबे डब्लूडब्लूएफ इंडिया  श्री महेन्द्र उप निदेशक कान्हा टायगर रिजर्व,  श्री मुकेश कुमार उप निदेशक फेन अभ्यारण्य, सुश्री नेहा सेमूल राज्य वन्यप्राणी बोर्ड छ.ग., श्री एम.एस.डोंगरे अधीक्षक, भो.अ.कवर्धा, श्री जसवीर सिंह मरावी, उप वनमंडलाधिकारी पंडरिया, श्री अनिल साहू, उपवनमंडलाधिकारी स.लोहारा, श्री महेन्द्र कुमार उपवनमंडलाधिकारी, लोरमी, परिक्षेत्र अािकारी भो.अ.कवर्धा चिल्फी एवं कवर्धा तथा समस्त परिक्षेत्र सहायक भोरमदेव अभ्यारण्य कवर्धा एवं चिल्फी उपस्थित रहे।

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