Union Budget 2023-24: अर्थशास्त्रियों ने कहा कि पंजाब ने कोविड-19 महामारी के दौरान अपनी उपयोगिता साबित की है।
केंद्रीय बजट 2023-24 (Union Budget 2023-24) से पहले पंजाब के पटियाला स्थित द इकोनॉमिस्ट्स फॉर पब्लिक इंटरेस्ट (The Economists for Public Interest) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Uninon Finance Minister Nirmala Sitharaman) को पत्र लिखा। अर्थशास्त्रियों ने पंजाब के विकास की गति को पुनर्जीवित करने के लिए आर्थिक पैकेज की मांग की है और कई सुझाव भी दिए हैं।
भारत का एक रणनीतिक राज्य है पंजाब- अर्थशास्त्रियों ने कहा
अर्थशास्त्रियों ने कई कारण गिनाए कि राज्य को आर्थिक पैकेज क्यों मिलना चाहिए। प्रोफेसर लखविंदर सिंह, प्रोफेसर सुखविंदर सिंह और प्रोफेसर केसर सिंह भंगू, जो इस पत्र के हस्ताक्षरकर्ता हैं, उन्होंने लिखा कि पंजाब देश की खाद्य और राष्ट्रीय सुरक्षा प्रदान करने के मामले में भारत का एक रणनीतिक राज्य है।
अर्थशास्त्रियों ने पत्र में कहा कि पंजाब ने कोविड-19 महामारी के दौरान अपनी उपयोगिता साबित की है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार पंजाब राज्य ने 2021-22 में 3,05,126.3 करोड़ रुपये (2,82,865 करोड़ रुपये बकाया देनदारियां + 22261.3 करोड़ रुपये बकाया गारंटी) का कर्ज जमा किया है। यह मार्च 2022 के अंत में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 53.3 प्रतिशत बनता है।
उन्ह्नोए पत्र में लिखा, “ऋण की स्थिरता के कारण भारत के तेरहवें वित्त आयोग ने पंजाब राज्य को ऋणग्रस्त राज्य की श्रेणी में डाल दिया है और एक ऐसे वित्तीय पैकेज की सिफारिश की है जिसे कभी महसूस नहीं किया गया। अब पंजाब “ऋण संकटग्रस्त” राज्य से “कर्ज में फंसे” राज्य में परिवर्तित हो गया है। इसने पंजाब में निजी निवेश पर भी ब्रेक लगाया है। नतीजतन इसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था की वृद्धि भी धीमी हुई है।
दुनियाभर के 51 प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों ने वित्त मंत्री को लिखा पत्र
वहीं दुनियाभर के 51 प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों ने वित्त मंत्री को खुला पत्र लिखकर सामाजिक सुरक्षा पेंशन और महिलाओं को मातृत्व का उचित लाभ दिए जाने के लिए बजट में राशि आवंटित करने की मांग की है। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि वो इससे पहले 20 दिसंब 2017 और 21 दिसंब 2018 को भी इस संबंध में पत्र लिख चुके हैं। पत्र में कहा गया है कि वृद्धों को राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत सिर्फ़ 200 रुपये प्रतिमाह मिलता है। ये राशि साल 2006 से बढ़ाई नहीं गई है लेकिन अब इसे बढ़ाकर 500 रुपये या उससे अधिक करना चाहिए।