Protest For Wages and Remunerations: श्रमिकों और कृषि मजदूरों ने अक्टूबर में 19 दिन तक विरोध प्रदर्शन किया था। हालांकि सरकार के लिखित आश्वासन पर वे तब आंदोलन वापस ले लिये थे।
Trade Unions Demonstration In CM House: पंजाब (Punjab) के ट्रेड यूनियनों (Trade Unions) के सब्र का पैमाना छलकने लगा है। बुधवार (30 नवंबर 2022) को श्रमिकों (Labours) ने पंजाब के सीएम भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) के संगरूर (Sangrur) स्थित घर के बाहर डेरा डाल दिया। वे अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते दिखे। श्रमिक वेतन वृद्धि और मनरेगा के तहत दैनिक मजदूरी 700 रुपये करने की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि आप सरकार उनसे वायदाखिलाफी कर रही है। उधर, पुलिस ने श्रमिकों के तेवर देखकर मान के घर के बाहर खासा बंदोबस्त किया है। श्रमिकों काे घर से दूर रोके जाने पर नहीं रुकने पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया।
सांझा मजदूर मोर्चा ने पहले से किया था Protest का ऐलान
पंजाब की आठ मजदूर यूनियनों का संयुक्त मंच सांझा मजदूर मोर्चा (Sanjha Mazdoor Morcha) बुधवार को संगरूर में ड्रीमलैंड कॉलोनी (Dreamland Colony), जहां पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान किराए के मकान में रहते हैं, के बाहर धरना देने का पहले से ऐलान किया था। मजदूर यूनियनों का आरोप है कि सरकार अपने वादों पर अमल नहीं कर रही है और उनको धोखा दी है। हालांकि मान सरकार का तर्क है कि वह केवल आठ महीने पहले सत्ता में आई थी और उसे अपने वादों को पूरा करने के लिए समय चाहिए।
PKMU के अध्यक्ष ने कहा- सरकार सिर्फ कोरा आश्वासन देती रही है
पंजाब खेत मजदूर यूनियन (PKMU) के अध्यक्ष जोरा सिंह नसराली (Zora Singh Nasrali,), जो सांझा मजदूर मोर्चा का एक हिस्सा है, ने कहा, “हमारी सीएम भगवंत मान, वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा (Harpal Singh Cheema) और कई उच्च अधिकारियों के साथ पहले बैठकें हुई थीं। सीएम मान के साथ हमारी आखिरी बैठक 3 अक्टूबर को होनी थी, लेकिन इसे रद्द कर दिया गया था। और उसके बाद मुलाकात की कोई तारीख घोषित नहीं की गई। अधिकारियों ने हमें आश्वासन दिया लेकिन लिखित में कुछ नहीं दिया। इसलिए, हमारे पास सीएम के घर के बाहर विरोध करने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा था।”
सरकार पर ZPSC ने लगाया उपेक्षा करने का आरोप
ज़मीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी (ZPSC) के अध्यक्ष मुकेश मलौद (Mukesh Malaud) ने कहा, “हमारी कमेटी के सदस्य पिछले एक हफ्ते से डिप्टी कमिश्नर पटियाला के कार्यालय के बाहर बैठे थे, लेकिन हमारी मांगें पूरी नहीं की गईं। आप सरकार कहती रहती है कि वह किसानों और मजदूरों की सरकार है, लेकिन फिर भी वह हमारी उपेक्षा करते हैं।