भारत जोड़ो यात्रा से सकारात्मक परिणाम के बारे में एक अन्य सवाल पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, “इसने मुझे बहुत धैर्य सिखाया है. पहले मैं एक या दो घंटे में चिढ़ जाता था. अब मैं आठ घंटे तक धैर्य रखता हूं.” एक अन्य रिपोर्टर ने पूछा कि क्या उन्हें इस तरह का जनसंपर्क अभियान पहले शुरू करना चाहिए था. जिस पर उन्होंने कहा, “सब कुछ अपने समय पर होता है. जब समय सही होता है, तब यह काम करता है.”नई दिल्ली:
क्या राहुल गांधी अब बदल गए हैं? क्या भारत जोड़ो यात्रा ने इसमें कोई मदद की है? कांग्रेस ने कई मौकों पर ऐसे दावे किए हैं कि भारत जोड़ो यात्रा राहुल गांधी के बारे में लोगों की सोच और धारणा बदल देगा. लेकिन खुद राहुल गांधी इससे इत्तेफाक नहीं रखते. एक मीडिया ब्रीफिंग में राहुल गांधी ने कहा, ‘मैंने कई साल पहले राहुल गांधी को छोड़ दिया था. अब वो आपके दिमाग में है, मेरे नहीं.’ राहुल गांधी ने ये बातें ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से मिली सीख के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कही. उन्होंने आगे कहा, ‘समझने की कोशिश करो, यही हमारे देश की फिलोसॉफी है. इसे समझो. यह तुम्हारे लिए अच्छा होगा.”
भारत जोड़ो यात्रा से सकारात्मक परिणाम के बारे में एक अन्य सवाल पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, “इसने मुझे बहुत धैर्य सिखाया है. पहले मैं एक या दो घंटे में चिढ़ जाता था. अब मैं आठ घंटे तक धैर्य रखता हूं.” एक अन्य रिपोर्टर ने पूछा कि क्या उन्हें इस तरह का जनसंपर्क अभियान पहले शुरू करना चाहिए था. जिस पर उन्होंने कहा, “सब कुछ अपने समय पर होता है. जब समय सही होता है, तब यह काम करता है.”
राहुल गांधी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “इससे पहले ऐसा नहीं होगा. मैंने ऐसी यात्रा के बारे में तब सोचा था जब मैं 25-26 साल का था. यहां तक कि जयराम रमेश जी को भी नहीं पता, लेकिन मैंने एक साल पहले इसकी विस्तार से योजना बनाई थी. फिर कोविड या अन्य कारणों से ऐसा नहीं हो सका. इसलिए अब यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय है, ” उन्होंने अभियान को भारत के विचार के लिए खड़े होने के लिए एक तपस्या कहा, जिसे आरएसएस-भाजपा द्वारा क्षतिग्रस्त और नष्ट किया जा रहा है”.
राहुल गांधी की “राहुल गांधी को जाने देना” के बारे में टिप्पणी को कई लोगों ने कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर लौटने से इनकार करने के रूप में देखा. 2019 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों में बीजेपी से बैक-टू-बैक हार मिलने के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. इतना ही नहीं, उन्होंने खुद को अध्यक्ष पद की रेस से अलग कर लिया और जोर देकर कहा कि वह शीर्ष पद की दौड़ में नहीं हैं.