The Kashmir Files Controversy: इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) के जूरी हेड नदव लापिड (Nadav Lapid) से इजरायल के राजदूत नाओर गिलॉन (Naor Gilon) ने कहा- आपको शर्म आनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने जो कारण गिनाए हैं, उन्हें पढ़िए।
निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) के जूरी हेड नदव लापिड (Nadav Lapid) ने घटिया और प्रोपेगेंडा बताया है। लापिड इजरायल के हैं। भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलॉन (Naor Gilon) ने इसके लिए माफी मांगी है। उन्होंने लैपिड से भी कहा- शर्म आनी चाहिए। राजदूत ने इसके छह कारण भी बताए हैं। इनमें से एक कारण यह है आप तो इजरायल वापस चले जाओगे। इस दंभ के साथ कि आप बड़े साहसी हो और आपने अपनी बात कह दी। हम, इजरायल के प्रतिनिधि, यही रहेंगे। आपको देखना चाहिए कि आपकी ‘बहादुरी’ के बाद कैसे हमारे डीएम (Direct message) बॉक्सेज भर गए हैं और जिस टीम की जिम्मेदारी मेरे ऊपर है, उसके ऊपर इसका क्या असर होगा।
लापिड के बयान पर 29 नवंबर की रात काफी विवाद हुआ तो 30 नवंबर की सुबह राजदूत गिलॉन ने ट्वीट कर कहा कि लापिड को शर्म आनी चाहिए। उन्होंने इसके लिए छह कारण भी बताए। पहला कारण बताते हुए उन्होंने लिखा- भारतीय संस्कृति में, जैसा वे बताते हैं, मेहमान भगवान के समान होता है। आपने हेड ज्यूरी बनने के भारत के न्यौते का बुरी तरह अपमान किया है। साथ ही, भारतीयों ने आपको जो इज्जत बख्शी, जैसी मेजबानी की, उसकी भी तौहीन की है।
राजदूत ने दूसरा कारण बताया- हमारे भारतीय मित्रों ने फाउदा (इजरायल-फलस्तीन संघर्ष की दास्तान पर आधारित सीरीज) के कलाकारों को भारत में फाउदा को मिले सम्मान का जश्न मनाने के लिए बुलाया। मुझे लगता है कि आपको और राजदूत के रूप में मुझे भी बुलाने के पीछे उनकी यही भावना हो। मैं अतीत के आधार पर आपके बर्ताव को जायज ठहराने की आपकी जरूरत समझ सकता हूं, लेकिन यह नहीं समझ पा रहा कि आपने वाईनेट न्यूज को यह क्यों बोला कि मंत्री और मैंने मंच पर कहा था कि हमारे देशों में समानता है क्योंकि हम भी इसी तरह एक दुश्मन से मुकाबला कर रहे हैं और बुरे पड़ोसी के साथ रह रहे हैं।
हमने समानताओं और देशों के बीच नजदीकियों की बात की। मंत्री ने अपने इजरायल दौरे का जिक्र किया। हमने उन तथ्यों की बात की जिनसे भारतीय फिल्में देख कर परिचित होते हुए हम बड़े हुए हैं। हमने यह भी कहा कि जब फिल्म की मजबूत संस्कृति वाला भारत जैसे देश में इजरायली कंटेंट देखा जा रहा है तो हमें काफी विनम्रता का भाव रखना चाहिए।
कारण नंबर तीन: मैं फिल्मों का विशेषज्ञ नहीं हूं, पर जानता हूं कि बिना गंभीर अध्ययन के इतिहास की घटनाओं के बारे में धारणा बनाना और बोलना असंवेदनशील होता है। खास कर तब जब यह भारत के ऊपर जख्म देने वाली घटना हो और इसकी पीड़ा से गुजरने वाले लोग आज भी आसपास मौजूद हों और इसकी कीमत चुका रहे हों।
नरसंहार से बच गए एक बाप के बेटे के तौर पर मैं भारत में आपके प्रति लोगों की प्रतिक्रिया देख कर मुझे दर्द हो रहा है। यह यहां पर कश्मीर मसले के प्रति संवेदनशीलता दिखा रहा है। आपके बयान की मैं भी उसी तरह निंदा करता हूं। इसे उचित ठहराने का कोई कारण नहीं है।