खालिद की याचिका पर एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत ने नोटिस जारी किया है। 25 नवंबर को याचिका पर सुनवाई होगी। खालिद सितंबर 2020 से जेल में बंद है।
दिल्ली हाईकोर्ट से नियमित जमानत न मिलने के बाद जेएनयू के छात्र नेता रहे उमर खालिद (Umar Khalid) ने दो सप्ताह की अंतरिम जमानत (Interim bail) के लिए कड़कड़डूमा कोर्ट से गुहार लगाई है। खालिद का कहना है कि उसकी बहन की शादी (Sisters wedding) है। वो उसमें शरीक होना चाहता है। खालिद के खिलाफ UAPA (अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट 1967 के तहत केस दर्ज किया गया है। दिल्ली पुलिस (Delhi police) का आरोप है कि राजधानी में हुए दंगों (Delhi Riots) की साजिश में वो शामिल था।
खालिद की याचिका पर एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत ने नोटिस जारी किया है। 25 नवंबर को याचिका पर सुनवाई होगी। खालिद सितंबर 2020 से जेल में बंद है। 18 अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने खालिद को जमानत पर रिहा करने से इन्कार कर दिया था। अदालत का कहना था कि खालिद का नाम दंगे शुरू होने से पहले हुए विरोध प्रदर्शन में सामने आया था। कोर्ट का कहना था कि खालिद वाट्सऐप ग्रुप DPSG और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू का सक्रिय सदस्य था। उसने कई बैठकों में सक्रिय भागीदारी की, जहां दिल्ली में हुए दंगों को लेकर सारी साजिश रची गई।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालिद के खिलाफ लगाए गए आरोप पहली नजर में सही लगते हैं। ऐसे में उसे जमानत पर रिहा करने का विकल्प बेहद सीमित है। ध्यान रहे कि 2020 में दिल्ली में दंगे भड़के थे। इनमें कई लोगों की जान गई तो बहुत से लोग जख्मी हुए। कई घरों को जलाकर खाक कर दिया गया।
दंगों के बाद दिल्ली पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया था। उमर खालिद भी इनमें से एक था। हालांकि खालिद के ऊपर देश के दूसरे सूबों में भी केस दर्ज किए गए थे। लेकिन तकरीबन सभी मामलों में उसे जमानत मिल चुकी है। केवल दिल्ली दंगों के मामले में वो जमानत पर रिहा नहीं हो सका है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि खालिद ने जिस तरह से साजिश को अंजाम दिया वैसे हालात में उसे जमानत पर रिहा करने का फैसला गलत होगा। दिल्ली पुलिस ने खालिद की जमानत का हर बार तीखा विरोध किया है।