यूपी सरकार अब महिलाओं को आर्थिक रूप से और सक्षम बनाने के लिए लखपति महिला कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। इस कार्यक्रम के जरिए शुरुआती तीन वर्षों में 15 लाख महिलाओं को लखपति बनाया जाएगा।
यूपी सरकार अब महिलाओं को आर्थिक रूप से और सक्षम बनाने के लिए लखपति महिला कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। इस कार्यक्रम के जरिए शुरुआती तीन वर्षों में 15 लाख महिलाओं को लखपति बनाया जाएगा। ऐसे प्रयास किए जाएंगे कि उनकी वार्षिक पारिवारिक आय एक लाख रुपये से अधिक पहुंचाई जा सके। इसकी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन को सौंपी गई है। अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र के सामने इस कार्यक्रम की रूपरेखा के संबंध में प्रस्तुतिकरण किया जा चुका है। इसको मिशन मोड में लागू कर जल्द ही नतीजे हासिल किए जाने की योजना है।
11 जिलों से होगी शुरुआत
पहले चरण में 11 जिलों में इसकी शुरुआत की जाएगी। इसमें वाराणसी और प्रयागराज के अलावा अलीगढ़, सुल्तानपुर, बहराइच, बांदा, बस्ती, लखीमपुर खीरी, मिर्जापुर, हमीरपुर और सोनभद्र शामिल हैं। इन जिलों में चरणबद्ध तरीके से अभियान चला कर स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को चिन्हित किया जाएगा और उन्हें विभिन्न प्रकार की योजनाओं से जोड़ कर वार्षिक आय में बढ़ोतरी का प्रयास किया जाएगा। साथ ही उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
टास्क फोर्स करेगी समीक्षा
इस कार्यक्रम को जल्द से जल्द नतीजे तक पहुंचाने के लिए समय सीमा भी निर्धारित की गई है। इसके तहत जिला और विकासखंड स्तर पर टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। 15 नवंबर तक जिला और विकासखंड स्तर पर टास्क फोर्स का गठन हो जाएगा। 30 मार्च के बाद इसकी समीक्षा की जाएगी। जिला स्तर पर जिलाधिकारी टास्कफोर्स के अध्यक्ष होंगे, जबकि मुख्य विकास अधिकारी सचिव होंगे।
उपायुक्त स्वतः रोजगार, उपायुक्त मनरेगा इसके सदस्य होंगे। इसके अलावा कृषि विकास, बागवानी, पंचायती राज, महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण, मत्स्य पालन, पशुपालन के सदस्य भी इस टास्क फोर्स में शामिल होंगे। इस टास्क फोर्स का कार्य प्रगति की मासिक समीक्षा करना होगा। टास्क फोर्स का कार्य लखपति महिला एप पर विकास खंड के सभी स्वयं सहायता समूह की सदस्यों की स्वघोषित आय को अपलोड करने की समीक्षा करना एवं मनरेगा में सम्मिलित निजी एवं सामूहिक आजीविका संवर्धन योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा करना होगा।
स्वयं सहायता समूहों को मिल रहा संबल
- 45 हजार से ज्यादा बैंकिंग करेस्पांडेंट सखी की नियुक्ति
- 31 लाख से अधिक निराश्रित महिलाओं को 1000 रुपये प्रतिमाह पेंशन
- 10 लाख स्वयं सहायता समूह बनाकर एक करोड़ महिलाओं को जोड़ा गया
- महिला स्वयं सहायता समूहों को कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया
- पांच लाख से ज्यादा स्वयं सहायता समूहों को 758 करोड़ से ज्यादा रिवॉल्विंग फंड
- करीब 3 लाख स्वयं सहायता समूहों को 3238 करोड़ रुपये सामुदायिक निवेश निधि