यूपी के कई जिलों में डेंगू का कहर थम नहीं रहा है। हालात यह हो गया है कि कुछ घंटों में ही मरीज की हालत खराब हो जा रही है। मरीज वेंटिलेटर पर पहुंच जा रहा है। भर्ती होने का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है।
यूपी के कई जिलों में डेंगू का कहर थम नहीं रहा है। हालात यह हो गया है कि कुछ घंटों में ही मरीज की हालत खराब हो जा रही है। मरीज वेंटिलेटर पर पहुंच जा रहा है। मरीजों के भर्ती होने का ग्राफ भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। कानपुर और मुरादाबाद में हालत बेहद खराब हैं। मुरादाबाद में तो डेंगू के बढ़ते कहर ने एक बार फिर कोरोना काल की उस विभीषिका को ताजा करा दिया है जब एक के बाद एक करके तमाम मरीजों को वेंटिलेटर पर पहुंचाने की नौबत आ रही थी। अब डेंगू संक्रमण के चलते गंभीर हालत में पहुंचने वाले मरीजों की जिन्दगी बचाने के लिए चिकित्सक उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रख रहे हैं।
कानपुर में शुक्रवार को भी 43 नए मरीज मिले। इनमें से दो बच्चे भी हैं। अब डेंगू मरीजों की कुल संख्या सात सौ पहुंच चुकी है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, उर्सला में शुक्रवार को 91 सैम्पल लिए गए, जिसमें से 28 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई।
यहां पर पॉजिटिविटी रेट 31 फीसदी रहा। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग की रिपोर्ट में 123 सैम्पलों में 15 में संक्रमण मिला। पॉजिटिविटी रेट 12.20 फीसदी रिकार्ड किया गया। उर्सला की रिपोर्ट की मानें तो रेलवे अस्पताल से 4, रीजेन्सी से 14, उर्सला से 5, एमकेसीएच से 2, संजीवनी हॉस्पिटल से 1, सीएचसी कल्याणपुर से 2 केस डेंगू के मिले।
हैलट में डॉ.एसके गौतम और डॉ.सौरभ अग्रवाल की ओपीडी से 25 तो उर्सला में 8 मरीजों को भर्ती किया गया। इन सभी को गंभीर होने के कारण भर्ती किया गया है। डॉ.गौतम ने बताया कि अब मरीजों में चकत्ते और कमजोरी के लक्षण काफी मिल रहे हैं।
ज्यादातर मरीज घर में ही इलाज करा रहे थे। दो दिन के बाद तबीयत बिगड़ी तो उन्हें भर्ती किया गया है। एसीएमओ डॉ.आरएन सिंह ने माना कि डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है। अब मरीजों को इंतजार नहीं करना चाहिए, क्योंकि डेंगू अगले दिन से घातक हो सकता है।
उधर, मुरादाबाद में सिद्ध अस्पताल के प्रबंध निदेशक एवं हृदयरोग विशेषज्ञ डॉक्टर अनुराग मेहरोत्रा ने बताया कि डेंगू संक्रमित जो मरीज गंभीर हालत में पहुंच जाने के चलते मल्टी ऑर्गन फेल्योर वाली स्थिति में आ रहे हैं। उन्हें वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत पड़ रही है। शरीर में खून का दौरा बहुत कम हो जाने की वजह से फेफड़ों में सूजन व सांस लेने में गंभीर परेशानी सामने आ रही है।
ऐसी स्थिति में पहुंचने वाले डेंगू संक्रमित करीब 25 से 30 फीसदी मरीजों की जिंदगी बचाने में कामयाबी भी मिल रही है। हालांकि, वेंटिलेटर पर पहुंचे बाकी 70 फीसदी मरीजों को बचाना मुश्किल हो रहा है। जबकि, कोरोना संक्रमण के चलते फेफड़ों में अत्यधिक गंभीर संक्रमण से पीड़ित हुए जिन मरीजों को वेंटिलेटर पर रखने की नौबत आई थी उनमें से इक्का दुक्का मरीजों की ही जिंदगी बच सकी थी।
कॉसमॉस अस्पताल के पल्मोनॉलॉजिस्ट डॉ.शुभेन्दु गुप्ता ने बताया कि डेंगू संक्रमण की वजह से फेफड़ों में पानी भरने समेत कई अन्य गंभीर दिक्कतों से पीड़ित मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट देने की जरूरत पड़ रही है। समय से वेंटिलेटर सपोर्ट मिलना कई मरीजों की सांसें बचाने में मददगार बन रहा है। चिकित्सकों ने डेंगू का संक्रमण होने पर मरीज को तत्काल सही इलाज मुहैया करा देने की जरूरत बताई।
डेंगू में पानी की कमी हो रही जानलेवा
चिकित्सकों का कहना है कि डेंगू संक्रमित मरीजों में पानी की कमी होना खतरनाक हो रहा है। इसी की वजह से प्लेटलेट्स अत्यधिक गिरने के बाद डेंगू शॉक सिंड्रोम की स्थिति बन रही है जोकि कई मरीजों के लिए जानलेवा बन जाती है। बुखार होने पर पानी ज्यादा पिएं। साथ ही तरल पदार्थों का सेवन बढ़ा दें।