अधिकारियों ने कहा कि जांचकर्ताओं ने आयकर रिटर्न दाखिल करते समय दस्तावेजों के कथित हेरफेर, चीन सहित विभिन्न देशों से प्राप्त धन का दुरुपयोग करने तथा धनशोधन के मामले का पता लगाया है।

कांग्रेस ने राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) और राजीव गांधी चैरिटबल ट्रस्ट (आरजीसीटी) के खिलाफ कार्रवाई को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह कार्रवाई देश के मुख्य मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए की गई है। कांग्रेस की यह टिप्पणी सोनिया गांधी के नेतृत्व वाले संगठनों- आरजीएफ और आरजीसीटी- को कानून के कथित उल्लंघन के लिए विदेशी चंदा नियमन अधिनियम (एफआरसीए) लाइसेंस केंद्र सरकार द्वारा रद्द करने की घटना के बाद आई है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ”उन्होंने (केंद्र) आरजीएफ और आरजीसीटी के खिलाफ पुराने आरोप दोहराये हैं। ऐसा कांग्रेस को बदनाम करने तथा लोगों का ध्यान दैनिक मुद्दों से हटाने के लिए किया गया है।”

रमेश ने कहा, ”आसमान छूती कीमतों, बेरोजगारी और (डॉलर के मुकाबले) रुपये के गिरने की वजह से देश की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है, साथ ही नफरती भाषण एवं विभाजनकारी राजनीति से लोग उब चुके हैं।” कांग्रेस नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि आरजीएफ और आरजीसीटी के एफसीआरए लाइसेंस रद्द करना मोदी सरकार के ‘राजनीतिक द्वेष का प्रतीक’ है। आरजीएफ के खिलाफ कार्रवाई 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित एक अंतर-मंत्रालयी समिति द्वारा की गई जांच के बाद हुई।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ”राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट के एफसीआरए लाइसेंस इनके खिलाफ जांच के बाद रद्द कर दिए गए हैं।” अधिकारियों ने कहा कि जांचकर्ताओं ने आयकर रिटर्न दाखिल करते समय दस्तावेजों के कथित हेरफेर, चीन सहित विभिन्न देशों से प्राप्त धन का दुरुपयोग करने तथा धनशोधन के मामले का पता लगाया है। उन्होंने कहा कि जांच दल में ईडी के अलावा गृह और वित्त मंत्रालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी शामिल थे और उन्हें यह जांच करना था कि क्या गांधी परिवार और अन्य कांग्रेस नेताओं द्वारा चलाए जा रहे इन संगठनों ने कर दाखिल करते समय कथित रूप से किसी दस्तावेज में हेरफेर किया था तथा क्या विदेशों से प्राप्त धन का दुरुपयोग किया गया और धनशोधन किया गया। भाजपा ने सरकार की कार्रवाई का स्वागत किया और कहा कि गांधी परिवार और उनसे जुड़े संगठन कानून से ऊपर नहीं हो सकते।

रमेश ने कहा कि भारत के लोग जानते हैं कि आरजीएफ की स्थापना 1991 में राजीव गांधी की दुखद हत्या के बाद हुई थी। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री प्राकृतिक आपदाओं और हिंसा से प्रभावित लोगों तथा दिव्यांगों को राहत के लिए खड़े रहते थे। उन्होंने कहा कि आरजीएफ अपनी स्थापना के समय से ही भारत के विभिन्न हिस्सों में कार्यक्रमों के माध्यम से इन विचारों को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है और बच्चों और महिलाओं सहित लाखों लोग इन कार्यक्रमों से लाभान्वित हुए हैं। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि आरजीसीटी उत्तर भारत में विकास की पहल के माध्यम से उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के सबसे गरीब क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी के समावेशी भारत के सपने को पूरा करने के लिए ट्रस्ट को 2002 में एक पेशेवर रूप से प्रबंधित, गैर-लाभकारी संस्था के रूप में पंजीकृत किया गया था।

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