World Mental Health Day 2022: कोरोना वायरस के कारण लगे हुए लॉकडाउन में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर काफी अवेयरनेस लोगों तक पहुंची थी। आज के समय में माता- पिता अपने बिजी शेड्यूल के चलते बच्चों पर ध्यान नह
World Mental Health Day 2022: कोरोना वायरस के कारण लगे हुए लॉकडाउन में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर काफी अवेयरनेस लोगों तक पहुंची थी। आज के समय में माता- पिता अपने बिजी शेड्यूल के चलते बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं, ऐसे में बच्चों के मन में क्या चल रहा है, ये समझना जरूरी है। 10 अक्टूबर को दुनिया भर में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। आइए इसी मौके पर एक्स्पर्ट्स से जानते हैं, स्कूल के छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर कैसे ध्यान दिया जा सकता है।
शिव नादर स्कूल नोएडा की प्रिंसिपल अंजू सोनी ने बताया, “माता-पिता और बच्चों दोनों की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिए। कोरोना वायरस ने बता दिया कि मानसिक स्वास्थ्य कितना महत्वपूर्ण है। छात्र- छात्राएं दुनिया का भविष्य हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम जिस गतिशील वातावरण में रहते हैं, उसका सामना करने के लिए उनके पास मजबूत दिमाग हो।”
सेंटर फॉर चाइल्ड एंड एडोलसेंट वेल-बीइंग (CCAW) के फाउंडर डॉक्टर दिपक गुप्ता ने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के पोषण के महत्व और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि खराब मानसिक से स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। उन्होंने कहा, “हम अच्छे शारीरिक स्वास्थ्य के बिना अच्छा मानसिक स्वास्थ्य नहीं रख सकते हैं”
एक साल के बच्चे के लिए भी मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है। अच्छा मानसिक स्वास्थ्य हमें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में सक्षम बनाता है।
मानसिक बीमारियां 15 साल की उम्र से पहले शुरू हो जाती है
“मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, यदि सही समय पर पहचानी नहीं की जाती हैं, तो बाद में किसी भी इंसान के लिए नुकसादायक साबित हो सकती है। डॉ गुप्ता ने कहा, अधिकांश मानसिक बीमारियां 15 साल की उम्र से पहले शुरू हो जाती हैं। छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने की जिम्मेदारी माता-पिता और स्कूल दोनों की होती है। छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बताना महत्वपूर्ण है, लेकिन अफसोस की बात है कि हमारा समाज इसपर बात करने से नकारता रहता है।
मानसिक स्वास्थ्य का ये है पहला संकेत
अपने बच्चों को लेकर माता-पिता को सोचना होना चाहिए यदि वे अपने बच्चे के व्यवहार में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखते हैं, क्योंकि यह बिगड़ती मानसिक स्वास्थ्य का पहला संकेत हो सकता है।
छोटे से छोटे बदलाव जैसे एक बच्चा क्रोधी महसूस कर रहा है या अपने चचेरे भाइयों से नहीं मिलना चाहता है, अकेले बिस्तर पर नहीं जा रहा है, स्कूल नहीं जा रहा है, हिंसक व्यवहार, परेशान नींद या बार-बार बुरे सपने आना जैसी बातों को माता- पिता बिल्कुल भी नजर अंदाज न करें। ऐसे में बच्चों के व्यवहार को समझने की कोशिश करें और खोजें कि बच्चा आखिर चाह क्या रहा है। बता दें, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे चार साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित कर सकते हैं।
भारती विद्या भवन स्कूल, नई दिल्ली की स्कूल काउंसलर ज्योति देव ऋषि ने कहा कि माता-पिता को यह समझना अक्सर मुश्किल होता है कि उनके छोटे बच्चे भी तनाव या चिंता से गुजर रहे हैं।
ऋषि ने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करने में शिक्षकों की भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने कहा, अभी भी माता-पिता में बच्चों की फीलिंग्स को महत्व नहीं देते शिक्षकों को उन्हें इसके बारे में शिक्षित करना चाहिए।