उत्तर प्रदेश के धन्नासेठ दुबई और सिंगापुर में करोड़ों की संपत्तियां खरीद रहे हैं। इनकी खरीद और खरीद में इस्तेमाल रकम उनके आयकर रिटर्न में दर्ज नहीं पाई गई हैं। आयकर विभाग और ईडी की जांच में पता चला।

उत्तर प्रदेश के धन्नासेठ दुबई और सिंगापुर में करोड़ों की संपत्तियां खरीद रहे हैं। इनकी खरीद और खरीद में इस्तेमाल रकम उनके आयकर रिटर्न में दर्ज नहीं पाई गई हैं। आयकर विभाग और ईडी की जांच में पता चला है कि यह रकम क्रिप्टोकरेंसी में अदा की गई और सारा खेल चाइनीज एप के जरिए छोटे-छोटे देशों में स्थापित क्रिप्टो एक्सचेंज के जरिए हुआ। दोनों विभागों ने अब तक क्रिप्टो की शक्ल में 700 करोड़ रुपये देश से बाहर जाने की सूचना हासिल कर ली है। इसमें 170 करोड़ रुपये अकेले कानपुर के हैं। लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, आगरा से भी यह खेल हुआ है।

टैक्स लगने पर जांच से खुला पुराना खेल एक अप्रैल 2022 को सरकार ने क्रिप्टो करेंसी पर 31 फीसदी टैक्स लागू कर दिया। डेढ़-दो महीने में ही अचानक क्रिप्टो कारोबार तेजी से नीचे आ गया। आयकर विभाग ने क्रिप्टो करेंसी के दोनों भारतीय एक्सचेंजों की पड़ताल की। इसमें पता चला कि 80 फीसदी क्रिप्टो निवेशकों ने भारतीय एक्सचेंजों से नाता तोड़ लिया है। क्या वे निवेशक क्रिप्टो कारोबार से ही अलग हो गए या महज एक्सचेंज छोड़े? इस सवाल का जवाब तलाशने में दोनों विभागों को चौंकाने वाले तथ्य मिले।

दुबई में संपत्तियों की खरीदारी से खुला राज
दुबई में संपत्तियों की खरीदारी में क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल हुआ है। आयकर और ईडी ने दुबई सरकार की एजेंसियों से क्रिप्टो के जरिए संपत्तियां खरीदने वाले भारतीयों का विवरण मांग लिया। दुबई से मिले विवरण में शामिल नामों का मिलान पासपोर्ट व आयकर रिटर्न से मिलान किया गया तो खेल पकड़ में आया।

क्रिप्टो करंसी एक्सपर्ट, प्रशांत अग्रवाल ने इस बारे में बताया कि भारत में क्रिप्टो ट्रेडिंग में लाभ होने पर 31 फीसदी टैक्स लगने लगा है। बड़ी संख्या में युवा और नए निवेशक दुबई में शिफ्ट हो रहे हैं। वहां क्रिप्टो करेंसी वैध है। संपत्तियां खरीदी जा रही हैं।

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