छात्रों ने मांग करते हुए कहा कि पिछले सत्र की छात्रवृत्ति उन्हें नहीं मिली है। स्कूल के प्रिंसिपल को इस बारे में कई बार कहा लेकिन इसे लेकर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

मध्य प्रदेश में जहां एक तरह दोनों ही मुख्य पार्टियां आदिवासी वोटरों को साधने में जुटी हैं, तो वहीं दूसरी तरफ आदिवासी छात्रों ने बदहाल शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मामला झाबुआ जिले का है जहां लगभग 150 से 200 की संख्या में छात्रों ने छात्रवृति और अपनी कई अन्य मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। मूसलाधार बारिश के बीच छात्र भूखे प्यासे 32 किमी चलकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। बावजूद इसके जिला कलेक्टर ने उन्हें 5 मिनट का समय भी नहीं दिया।

दरअसल, झाबुआ जिले के थांदला स्कूल के छात्र गुरुवार सुबह 11 बजे विद्यालय से निकले थे। रास्ते में भूखे प्यारे बारिश की मार झेलते हुए करीब शाम पांच बजे वे कलेक्ट्रेट पहुंचे। बताया जा रहा है कि 9 वीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक के लगभग 200 की संख्या में इन छात्रों को 32 किमी पैदल चलना पड़ा था। जिससे कई छात्रों की हालत बिगड़ गई। कुछ छात्र तो शरीर में ग्लूकोज की कमी होने के कारण ही कलेक्ट्रेट के बाहर बेहोश हो गए।

छात्रों ने मांग करते हुए कहा कि पिछले सत्र की छात्रवृत्ति उन्हें नहीं मिली है। स्कूल के प्रिंसिपल को इस बारे में कई बार कहा लेकिन इसे लेकर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि हम गरीब हैं हमें छात्रवृत्ति की सख्त जरूरत है। छात्रवृति नहीं मिलेगी तो हम पढ़ाई जारी नहीं रख पाएंगे। यह सुनने के बाद कलेक्ट्रेट के बाहर बैठे छात्रों के लिए बस की व्यवस्था की गई और उन्हें वापस भेज दिया गया।

वहीं बीमार छात्रों को एंबुलेंस से जिला अस्पताल भेजा गया। छात्र 32 किमी दूर पैदल चलकर कलेक्ट्रेट तो पहुंच गए लेकिन जानकारी मिली है कि जिला कलेक्टर सोमेश मिश्रा को समय नहीं मिला। जहां एक तरफ छात्र कलेक्टर का इंतजार करते रहे लेकिन वहीं उन्हें मिलने का समय तक नहीं मिला।

जिसके बाद जब छात्र अपनी जिद पर अड़ गए कि कलेक्टर से मिले बिना नहीं जाएंगे तो कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ को छात्रों से मिलने के लिए भेज दिया। जिसके बाद उन्होंने छात्रों से थोड़ी बहुत बात की और वापस चले गए। लेकिन ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया कि इन छात्रों को छात्रवृत्ति कब मिलेगी।

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