समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कहा है कि खेद की बात है कि इतिहास को विशेष दृष्टिकोण से बदलने की साजिशें हो रही है। वे लोग जिनका संबंध आरएसएस से रहा है।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कहा है कि खेद की बात है कि इतिहास को विशेष दृष्टिकोण से बदलने की साजिशें हो रही है। वे लोग जिनका संबंध आरएसएस से रहा और जिन्होंने कभी स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा भी नहीं लिया, आज आजादी के 75वें साल में आजादी के अमृत महोत्सव का ढिंढोरा पीट रहे हैं। अखिलेश ने स्वेच्छा से प्रत्येक नागरिक से खादी का बना तिरंगा फहराने की अपील की।

अखिलेश यादव ने रविवार को जारी बयान में  कहा है कि अंग्रेज सोचते थे कि वे दमन से आजादी की आवाज को दबा देंगे लेकिन पहले से सतर्क समाजवादी नेताओं ने आंदोलन की कमान अपने हाथ में लेकर आंदोलन को देशव्यापी बना दिया। जयप्रकाश नारायण, डॉ. राम मनोहर लोहिया और अरुणा आसफ अली के साथ ऊषा मेहता ने आजादी के लिए जो अलख जगाई उसके फलस्वरूप ही 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिल सकी।

आजादी के इस महान यज्ञ में स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान की उपेक्षा की जा रही है। आज की राजनीति सत्ता पाने और सत्ता का उपभोग करने का माध्यम बन गई है। इसलिए भाजपा की चालबाजी से हमें सावधान रहना होगा। यह अवसर भारतीय संविधान एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था को बचाने का भी है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि 8 अगस्त 1942 की रात में बंबई के ग्वालियर टैंक मैदान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ के प्रस्ताव के साथ ‘करो या मरो’ का मंत्र दिया था। गांधी ने कहा था या तो अब हम आजाद होंगे या फिर बलिदान दे देंगे। अंग्रेजों ने क्रूर दमनचक्र चलाते हुए 9 अगस्त 1942 से गिरफ्तारियां शुरू कर दी थी।

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