नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद चीन और ताइवान में तनातनी युद्धस्तर पर पहुंच चुकी है। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स (सीएफआर) के अनुसार सैन्य हथियारों की दृष्टि से ताइवान अमेरिका के लिए बड़ा बाजार है।

अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद चीन और ताइवान में तनातनी युद्धस्तर पर पहुंच चुकी है। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स (सीएफआर) के अनुसार सैन्य हथियारों की दृष्टि से ताइवान अमेरिका के लिए बड़ा बाजार है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश से लेकर मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन ताइवान को हथियार मुहैया कराने में पीछे नहीं है।

अमेरिका ने बीते 16 वर्षों में ताइवान को पांच हजार करोड़ डॉलर से अधिक के हथियार मुहैया कराएं हैं। ऐसे में ये स्पष्ट है कि ताइवान चीन से युद्ध लड़ने के लिए पूरी तरह अमेरिकी हथियारों पर निर्भर है।

अमेरिका से 41 वर्षों में 77 फीसदी हथियार
इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1979 से 2020 तक ताइवान को मिले 77 फीसदी हथियार अमेरिका में निर्मित थे। इसी तरह वर्ष 2009 से 2017 के बीच पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में कुल 1400 करोड़ डॉलर के सैन्य हथियार ताइवान को अमेरिका ने मुहैया कराया था। वर्ष 2019 में अमेरिकी सरकार ने ताइवान को 800 करोड़ डॉलर में कुल 66 एफ-16 लड़ाकू विमान बेचने का करार किया था।

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