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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, पिछले 20 सालों में दुनिया में होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण हृदय से जुड़े रोग हैं। जब हृदय की मांसपेशियां रक्त को पर्याप्त मात्रा में पम्प नहीं कर पाती हैं तब हृदय रोगों की शुरआत होती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। जैसे कि रक्त वाहिकाओं का सिकुड़ना, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट का धीरे-धीरे कमजोर हो जाना या फिर हार्ट का कठोर हो जाना। ऐसा होने पर उसमें न तो पर्याप्त रक्त भर पाता है और न ही वह पम्प कर पाता है।हार्ट फेल्योर सोसायटी ऑफ अमेरिका ने हदय रोगों से जुड़े संकेतों को समझने के लिए फॉर्मूला FACES बनाया है। यहां F= Fatigue यानी थकान, A= Activity Limitaion यानी शारीरिक गतिविधि में कमी, C= Congestion यानी खून का जमाव, E=Edema or Ankle Swelling यानी पैर में सूजन और S= Shortness of breath का अर्थ सांस लेने में दिक्कत से है।

हार्वर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का कहना है, हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाकर खतरा 50% तक कम किया जा सकता है। समय रहते इन संकेतों को समझ लिया जाए तो हृदय रोग या स्ट्रोक से जुड़ी समस्याओं का खतरा काफी कम किया जा सकता है। डॉ. हेमन्त चतुर्वेदी, वरिष्ठ ह्रदय रोग विशेषज्ञ, इटरनल हॉस्पिटल, जयपुर से जानिए हृदय रोगों से कैसे बचें…

‘FACES’ से मिलता है दिल की बीमारी का संकेत

Fatigue यानी थकान: रक्त में ऑक्सीजन की कमी

हृदय रोग से पीड़ित कई महिला मरीजों में पूरे हफ्ते असामान्य थकावट या नींद न आने की समस्या रह सकती है। अर्कांसस यूनिवर्सिटी के शोध के पाया गया कि रक्त में ऑक्सीजन की कमी इसका एक कारण है।

Activity Limitation यानी गतिविधि में कमी: ब्लॉकेज हो सकता है वजह

एक्सरसाइज करते समय या शरीरिक गतिविधि के समय ब्लॉकेज के कारण ब्लड का सर्कुलेशन सही नहीं रह पाता। इससे सीने में दर्द अथवा दिल पर अतिरिक्त दबाव महसूस होता है। इससे शारीरिक गतिविधि में कमी हो जाती है।

Congestion यानी खून का जमाव : वाल्व की समस्या

दिल में फड़फड़ाहट के साथ सिरदर्द या घबराहट महसूस हो रही हो तो यह वाल्व से जुड़ी समस्या के संकेत हो सकते हैं। नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी का शोध बताता है कि यह ब्लड प्रेशर तेजी से नीचे गिरने के संकेत है। समय पर इसे पहचान कर रोग को बढ़ने से रोक सकते हैं।

Edema यानी पैर में सूजन: कमजोर ब्लड फ्लो

यह इस बात का संकेत हो सकता है कि हृदय ब्लड को ढंग से पंप नहीं कर पा रहा। जब दिल पर्याप्त तेजी से रक्त को पंप नहीं कर पाता तब रक्त वाहनियों में वापस लौट जाता है, जिससे सूजन आ जाती है।

Shortness of breath यानी सांस में कमी : वाल्व में कमी

यदि कुछ समय से छोटे-छोटे काम में भी सांस फूल रही हो। लेटते समय या फिर आराम करते समय भी सांस लेने में दिक्कत हो तो यह हृदय के वाल्व से जुड़ी समस्या हो सकती है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

बचाव के वो दो तरीके जो आप अपना सकते हैं..

1- अच्छी डाइट: पत्तेदार सब्जियों से 16% और साबुत अनाज से खतरा 22% तक कम

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, पत्तेदार सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में विटामिन के और नाइट्रेट्स पाए जाते हैं। जो रक्तवाहिकाओं की रक्षा करने के साथ ब्लड प्रेशर को कम करते हैं।भोजन में पत्तेदार सब्जियों की मात्रा बढ़ाने से दिल की बीमारी का खतरा 16% तक कम होता है। वहीं, साबुत अनाज में फाइबर पाया जाता है जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। अगर रोजाना 150 ग्राम साबुत अनाज भोजन में लिया जाए तो खतरा 22% तक कम हो जाता है।

2- एक्सरसाइज : ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाती है, कोलेस्ट्रॉल कम करती है

रजिस्टेंस ट्रेनिंग: अमेरिकन कॉलेज ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन के मुताबिक, हफ्ते में कम से कम लगातार दो दिन रजिस्टेंस ट्रेनिंग जैसे- वेट उठाना, रजिस्टेंस बैंड से या बॉडी वेट एक्सरसाइज जैसे कि पुशअप, चिनअप से बेलीफैट और बॉडी फैट कम होता है। यह फैट ही हृदय रोग का बड़ा कारण है। इसके साथ ही कोलेस्ट्रॉल भी घटता है।एरोबिक एक्सरसाइज: जॉन हॉप्किन्स मेडिसिन इंस्टीट्यूट में एक्सरसाइज फिजियोलॉजिस्ट केरी जे स्टुअर्ट कहती हैं, रोजाना 30 मिनट, सप्ताह में पांच दिन एरोबिक एक्सरसाइज जैसे- ब्रिस्क वॉक, रनिंग, स्विमिंग, साइकिलिंग, रोप जम्पिंग से हार्ट की पम्पिंग कैपेसिटी सुधरती है। इससे सर्कुलेशन बेहतर होता है। ब्लड प्रेशर कम होता है। हृदय मजबूत होता है।

 

 

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