इस बार यूरोप के देशों में ऐसी गर्मी पड़ रही है कि किसी ने सोचा भी नहीं होगा। यूके ने दो दिनों के लिए रेड अलर्ट जारी कर दिया है। यानी स्थिति इमरजेंसी जैसी है।
यूरोपीय देशों में इस बार गर्मी कहर बरपा रही है। आलम यह है कि पहली बार यूके जैसे देश को अत्यधिक गर्मी को लेकर रेड अलर्ट जारी करना पड़ा है। इंग्लैंड के कुछ इलाकों में बेतहाशा तापमान बढ़ने की वजह से ‘इमरजेंसी’ जैसी स्थिति है। यहां लोगों को गर्मी से बचने की चेतावनी दी गई है। न केवल यूके बल्कि यूरोप का बड़ा हिस्सा इस समय गर्मी से झुलस रहा है। पुर्तगाल, स्पेन, फ्रांस और क्रोशिया जैसे देशों में जंगलों की आग गर्मी बढ़ा रही है। वहीं जलवायु परिवर्तन इस गर्मी का सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है।
ब्रिटेन में सबसे ज्यादा तापमान 38.7 डिग्री सेल्सियस 25 जुलाई 2019 में कैंब्रिज में दर्ज किया गया था। अब यहां के मौसम विभाग का कहना है कि यह रेकॉर्ड टूट गया है और तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पर जा पहुंचा है। मौसम विभाग के अधिकारी ने कहा, अगले सप्ताह यहां गर्मी का रेकॉर्ड टूट जाएगा। 80 फीसदी चांस है कि 40 डिग्री से भी ऊपर तापमान जा सकता है। कहा जा रहा है कि शहरी इलाकों में रात का भी तापमान ज्यादा ही बना रहेगा जिसका प्रभाव बड़े इलाके पर पड़ेगा।
कब जारी होती है लेवल 4 की वॉर्निंग
ब्रिटेन की हेल्थ सिक्यॉरिटी एजेंसी (UKHSA) ने सोमवार और मंगलवार के लिए लेवल 4 की हीट हेल्थ वॉर्निंग जारी की है। बता दें कि ब्रिटेन में लेवल 4 की वॉर्निग इमरजेंसी की तरह होती है। यह तभी जारी की जाती है जब गर्मी बहुत ही गंभीर स्थिति में पहुंच जाती हैऔर इससे स्वास्थ्य को बड़ा नुकसान होने का खतरा रहता है। ऐसे में न केवल हाई रिस्क वाले लोगों को बल्कि हेल्दी और फिट लोगों को भी खतरा रहता है।
एक जलवायु विशेषज्ञ हन्नाह क्लोक ने कहा कि हमें ऐसे तापमान की आदत नहीं है इसलिए बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी गर्मी पहले नहीं पड़ती थी इसलिए हमारे घर उस तरह नहीं बने हैं। एयर कंडिशनर नहीं हैं। घर ठंडे नहीं रहते हैं और हमारा पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर गर्मी सहने करने के हिसाब से नहीं बनाया गया है।
प्रचंड गर्मी से पर्यटन प्रभावित
गर्मियों में लोग यूरोप की सैर करने जाया करते थे लेकिन इस बार यूरोप में भी प्रचंड गर्मी पड़ रही है। स्पेन, फ्रांस, इटली, यूके का पारा आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है। बता देंकि इन देशों में लोग गर्मी से बचने की ज्यादा व्यवस्था नहीं करते हैं। हाल यह है कि नॉर्वे और स्वीडन जैसे देशों में भी पंखे बिकने लगे हैं।