प्रखंड से किताबों का उठाव नहीं हो पाया है। रिपोर्ट के अनुसार किताब उठाव से लेकर वितरण की रिपोर्ट देने में भी स्कूल शिथिलता बरत रहे हैं। गुमला और हजारीबाग में 10 फीसदी से भी कम स्कूलों की रिपोर्ट आयी ह

झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निर्देश का पालन राज्य के अधिकारी से लेकर शिक्षक तक नहीं कर रहे हैं। नतीजा है कि राज्य के 31 लाख छात्र-छात्राओं को अभी तक पाठ्यपुस्तक नहीं मिली है। वे बिना किताबों के ही पढ़ने को मजबूर हैं।

एक जुलाई से नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ शिक्षा मंत्री ने सभी जिलों को निर्देश दिया था कि एक सप्ताह में सभी बच्चों को किताबें उपलब्ध करा दी जाए। बावजूद इसके निर्देश के बाद 38 लाख छात्र-छात्राओं में से साढ़े छह लाख बच्चों को ही किताबें मिल सकी हैं।

अभी भी 31 लाख बच्चे किताबों से वंचित हैं। सत्र शुरू होने के पूर्व स्कूलों में सात लाख बच्चों के बीच किताबें बांटी गई थीं। स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के ई विद्या वाहिनी की रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है।

शिक्षा विभाग की ई विद्या वाहिनी की रिपोर्ट की मानें तो अब तक 13,76,145 छात्र-छात्राओं को ही पाठ्यपुस्तक मिल सकी है। अभी भी 31,55,874 छात्र-छात्राओं को किताबें नहीं मिल सकी हैं। शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में तो किताबें मिल भी गई हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं मिल सकी है। राज्य के अधिकांश स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।

प्रखंड से किताबों का उठाव नहीं हो पाया है। रिपोर्ट के अनुसार किताब उठाव से लेकर वितरण की रिपोर्ट देने में भी स्कूल शिथिलता बरत रहे हैं। गुमला और हजारीबाग में 10 फीसदी से भी कम स्कूलों की रिपोर्ट आयी है।

वहीं रामगढ़ और सरायकेला खरसावां में 99 फीसदी स्कूलों ने अपनी रिपोर्ट अपलोड कर दी है। अब तक 21,407 स्कूलों ने ई विद्या वाहिनी पोर्टल पर अपनी रिपोर्ट नहीं दी है, सिर्फ 15,380 स्कूलों ने ही रिपोर्ट दी है।

मार्च से ही प्रखंडों में है किताब
मार्च में ही सभी प्रखंडों में पहली से आठवीं के छात्र-छात्राओं और नौवीं-10वीं की छात्राओं के लिए किताबें उपलब्ध करा दी गई हैं। किताबों को प्रखंडों से स्कूल भेजना था और बच्चों के बीच वितरण कराना था। तीन महीने में न तो किताबों का पूरा उठाव हो सका और न ही बच्चों के बीच वह बांटे जा सके हैं।

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