पाकिस्तान में पिछले कुछ हफ्तों के दौरान कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी हुई है और इससे संकेत मिलता है कि महामारी के खिलाफ उसकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। जिसके बाद दवाओं की किल्लत की बात सामने आई।
पाकिस्तान में कोविड-19 महामारी की छठी लहर की आशंका के बीच इस बीमारी के इलाज और बचाव में इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर भारी आयात शुल्क लगाने के चलते दवाओं की किल्लत हो गई है। एक मीडिया रिपोर्ट में शनिवार को कहा गया कि इसके चलते नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
पाकिस्तान में पिछले कुछ हफ्तों के दौरान कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी हुई है और इससे संकेत मिलता है कि महामारी के खिलाफ उसकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। रिपोर्ट में बताया कि गंभीर आर्थिक संकट और घटते विदेशी भंडार से जूझ रही पाकिस्तान सरकार ने इन दवाओं पर आयात शुल्क दोबारा लगा दिया था।
सबसे ज्यादा किल्लत पैनाडोल दवा की
देश में पूर्ववर्ती पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) सरकार ने नेबुलाइजर, फेस मास्क और दस्ताने जैसे उपकरणों को कर-मुक्त घोषित किया था। थोक दवा संघ के अध्यक्ष मुहम्मद आतिफ ने दवाओं की किल्लत की पुष्टि की है। उन्होंने खासतौर से दवा पैनाडोल का जिक्र करते हुए कहा कि इस दवा के स्थानीय बाजारों से गायब होने की आशंका है।
दोबारा लगाया आयात शुल्क
एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने बताया कि गंभीर आर्थिक संकट और घटते विदेशी भंडार से जूझ रही पाकिस्तान सरकार ने इन दवाओं पर आयात शुल्क दोबारा लगा दिया था। देश में पूर्ववर्ती पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार ने नेबुलाइजर, फेस मास्क और दस्ताने जैसे उपकरणों को कर-मुक्त घोषित किया था।
दवाओं की कालाबजारी भी बढ़ी
अखबार ने कहा कि थोक दवा संघ के अध्यक्ष मुहम्मद आतिफ ने दवाओं की किल्लत की पुष्टि की है। उन्होंने खासतौर से दवा पैनाडोल का जिक्र करते हुए कहा कि इस दवा के स्थानीय बाजारों से गायब होने की आशंका है। इस वजह से दवाओं की काला बाजारी भी बढ़ गई है।