इतना ही नहीं श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे को भी इस मामले में सफाई देना पड़ गया था। पहले उन्होंने ट्विटर पर इस बात को नकारा और फिर बाद में उनके ऑफिस की तरफ से भी खंडन जारी किया।
अडाणी ग्रुप को श्रीलंका में मिली एक पवन ऊर्जा परियोजना पर विवादित टिप्पणी करने वाले शीर्ष अधिकारी ने इस्तीफा दे दिया है। श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकारा ने सोमवार को कहा कि श्रीलंका के बिजली विभाग के मुखिया का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। यह सब तब हुआ है जब सिर्फ एक दिन पहले ही उस अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपति राजपक्षे ने प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर इस परियोजना को अडाणी ग्रुप को देने के लिए कहा था।
दरअसल, श्रीलंका के बिजली विभाग के मुखिया एमएमसी फर्डिनेंडो ने दावा किया था कि अडानी ग्रुप को श्रीलंका में एक पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट मोदी के कहने पर राजपक्षे ने दिलाया था। उनका कहना था कि पिछले साल नवंबर में एक मीटिंग के बाद राजपक्षे ने उन्हें बुलाकर प्रोजेक्ट अडानी ग्रुप को देने के लिए कहा था। हालांकि इसके बाद फर्डिनेंडो ने अपना बयान वापस लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया है।
इससे पहले अधिकारी के बयान के विवाद खड़ा हो गया था और अधिकारी अपने बयान से पलट गए। फर्डिनांडो अपने बयान से यह कहते हुए मुकर गए कि उन्होंने भावातिरेक में आकर यह बयान दिया था। इतना ही नहीं श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे को भी इस मामले में सफाई देना पड़ गया था। पहले उन्होंने ट्विटर पर इस बात को नकारा और फिर बाद में उनके ऑफिस की तरफ से भी खंडन जारी किया।
मामले पर राजपक्षे ने ट्विटर पर लिखा था कि मन्नार के विंड पॉवर प्रोजेक्ट को लेकर किसी दबाव की बात से मैं इंकार करता हूं। इसके बाद उनके ऑफिस की तरफ से जारी के बयान में कहा गया कि इस प्रोजेक्ट को देने में किसी भी प्रकार दबाव की बात गलत है। साथ ही यह भी कहा गया कि राष्ट्रपति चेयरमैन फर्डिनांडो द्वारा कही गई बातों से कोई इत्तेफाक नहीं रखते हैं।
श्रीलंका में अडाणी ग्रुप और विपक्ष के आरोप
गौरतलब है कि बीते कुछ वर्षों में अडाणी ग्रुप श्रीलंका में तेजी से पांव पसार रहा है। पिछले साल उसने यहां पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कोलंबो बंदरगाह के पश्चिमी कंटेनर टर्मिनल को विकसित करने का कांट्रैक्ट 51 फीसदी हिस्सेदारी के साथ हासिल किया है। वहीं इस साल मार्च में इस ग्रुप ने दो रिन्यूवेबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स, एक मन्नार और दूसरा पूनेरिन में हासिल किया है। यह दोनों ही देश के उत्तरी क्षेत्र में स्थित हैं। उधर श्रीलंकाई विपक्ष राजपक्षे सरकार पर दोस्त मोदी का हित साधने और उन्हें देश में बैकडोर से एंट्री देने का आरोप लगाती रही है।