अमेरिका पहले ही घोषणा कर चुका है कि वह सितंबर तक पूरी तरह अपनी सेना अफगानिस्तान से हटा लेगा. लेकिन इस ऐलान से पहले ही तालिबान ने अपना दायरा अफागनिस्तान में बढ़ा लिया है. इसी बीच सोशल मीडिया पर ऐसे बहुत से वीडियों की संख्या तेजी से बढ़ गई है जिसमें  पाकिस्तानी नागरिक तालिबान का झंडा पकड़े रैलियो में इस्लामी नारे बाजी करते दिख रहे हैं.

तेजी से बढ़ी हैं ऐसी गतिविधियां

पाकिस्तानी नागरिक ही नहीं इस्लामी धर्मगुरू भी पाकिस्तान में अफगान तालिबान के समर्थन और दान मांगते दिख रहे हैं. डीडब्ल्यू की रिपोर्ट के अनुसार बलूचिस्तान के पिशिन जिले और क्वेटा शहर में बहुत सारे स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके में तालिबान समर्थित गतिविधियों में तेजी से इजाफा हुआ है. कुछ लोगो का यह तक कहना है कि स्थानीय अधिकारियों के सहयोग के बिना यह संभव नहीं हैं. शुरुआत में मौलवी मस्जिदों में अफगान तालिबानों के लिए चंदा मांगते थे. अब वे घर घर जाकर ऐसा कर रहे हैं.

अफगानिस्तान (Afghanistan) से अमेरिकी सेना पूरी तरह से गई कि तालिबान (Taliban) की ताकत बढ़ने लगी. अब माना जा रहा है कि तालिबान का काबुल पर देर सबेर कब्जा हो ही जाएगा. अफगानिस्तान में तालिबान और अमेरिका के बीच के समीकरण में पाकिस्तान (Pakistan) की भी अहम भूमिका था. अब जब समीकरण से अमेरिका हट गया है, पाकिस्तान तालिबान संबंधों के विश्लेषण शुरू हो गया है. हाल ही में देखा गया है कि पाकिस्तान में तालिबान समर्थकों की संख्या बढ़ने लगी है. इसका अफगानिस्तान पर तो असर होगा ही भारत सहित कई देशों पर भी इसका प्रभाव होगा.

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