भारत की रिटेल इन्फ्लेशन मई में 7.04% रहा जो कि अप्रैल महीने के मुकाबले कम है। अप्रैल में रिटेल महंगाई दर 7.79% था। हालांकि, महंगाई दर अब भी आरबीआई की ऊपरी लिमिट पर है।

Retail inflation: महंगाई के मोर्चे पर आम आदमी को थोड़ी राहत मिली है। मई में भारत की रिटेल महंगाई दर 7.04% रही, जो कि अप्रैल महीने के मुकाबले इसमें मामूली गिरावट है। अप्रैल में रिटेल इंफ्लेशन रेट 7.79% पर पहुंच गया था। हालांकि, महंगाई दर अब भी आरबीआई के काबू से बाहर है। सांख्यिकी और कार्यक्रम मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में 7.79% से घटकर 7.04% हो गई। मई में खाने-पीने के सामान से लेकर पेट्रोल-डीजल और बिजली की महंगाई कम होने से महंगाई दर घटी है।

इन चीजों के कम हुए दाम
सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 7.79 प्रतिशत, मार्च में 6.95 प्रतिशत, फरवरी में 6.07 प्रतिशत और जनवरी में 6.01 प्रतिशत रही। पहले से ही महामारी की मार झेल रहे परिवारों के लिए खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें एक बड़ी चिंता का विषय बन गई हैं। खाद्य मुद्रास्फीति, जो सीपीआई बास्केट का लगभग आधा हिस्सा है, मई में सालाना आधार पर 7.97 प्रतिशत बढ़ गई। वहीं, अप्रैल के मुकाबले मई महीने में खाने पीने की चीजें थोड़ी सस्ती हुई। अप्रैल में खाद्य महंगाई दर 8.31% पर थी।
सोसाइटी जेनरल, बेंगलुरु में भारत के अर्थशास्त्री कुणाल कुंडू ने कहा, “यह लगातार पांचवां महीना है, जब महंगाई दर RBI की 6% की ऊपरी लिमिट के पार रही है। अप्रैल की तुलना में मई में  थोड़ी राहत मिली है। पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कमी के कारण  रिटेल इंफ्लेशन में कमी आई है।”

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