Gathiya Ke Gharelu Upchar: गठिया बेहद दर्दनाक बीमारी है। इसमें जोड़ों में बेइंतेहां दर्द होता है। कई बार जॉइंट्स तक बेकार हो जाते हैं। बीमारी जड़ से खत्म करने का इलाज नहीं बस इसे कंट्रोल कर सकते हैं

रूमेटॉइड अर्थराइटिस एक ऐसी ऑटोइम्यून डिसीज है जो अब बहुत कॉमन हो गई है। यह बीमारी लोगों में अलग-अलग तरह की होती है लेकिन दर्द सबमें होता है। अर्थराइटिस में जॉइंट पेन, सूजन के बाद जोड़ों में परमानेंट डैमेज तक हो सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि गठिया पूरी तरह ठीक नहीं हो पाता लेकिन इसके लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। इसके लिए लोग दवाओं से लेकर घरेलू उपचारों तक का सहारा लेते हैं। जैसा कि सबको पता है कि शरीर में इन्फ्लेमेशन बढ़ने से गठिया में दिक्कत होती है। इसलिए कुछ हर्ब्स लेकर इस इन्फ्लेमेशन को कम किया जा सकता है।

अदरक

भारतीय खाने और खासकर चाय में अदरक का इस्तेमाल होता है। अदरक में कई औषधीय गुण होते हैं और यह ऐंटी एनफ्लेमेटरी होता है। अगर आपको जोड़ों या मसल्स में दर्द है या फिर अर्थराइटिस या ऑस्टियोपोरोसिस है तो अपनी रोजाना की डायट में अदरक जरूर शामिल करें। आप इसे कद्दूकस करके शहद के साथ खा सकते हैं। वहीं फ्रूट या वेजिटेबल जूस में भी डाल सकते हैं। चाय या चटनी में भी इसे डाला जा सकता है।

हल्दी

हल्दी को आयुर्वेद में गुणों के मामले में खरा सोना माना जाता है। यह भी गठिया के लोगों के लिए फायदेमंद है। इसमें करक्यूमिन पाया जाता है जिसमें ऐंटी इनफ्लेमेटरी गुण होते हैं। आप हल्दी वाला दूध पी सके हैं या सप्लिमेंट के रूप में भी ले सकते हैं। माना जाता है कि हल्दी को काली मिर्च के साथ लेने पर इसका अवशोषण अच्छा होता है। अगर आपको स्टोन की प्रॉब्लम है तो हल्दी अलग से न लें। खाने के साथ जितनी शरीर में जा रही है, उतनी जाने दें।

ग्रीन टी

ग्रीन टी ऐंटी-ऑक्सीडेंट रिच होती है और इसमें पॉली फिनॉल्स भी होते हैं। इसके अलावा इन्फ्लेमेशन भी कम करती है। आप ग्रीन टी में चीनी के बजाय शहद डालें। इसमें अदरक भी डाल सकते हैं।

दालचीनी

दालचीनी को भी कई बीमारियों की दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। यह हाइब्लड प्रेशर से लेकर गठिया तक में फायदा पहुंचाती है। दालचीनी में फ्लेवोनॉइड्स होते हैं जो कि इन्फ्लेमेशन कम करते हैं। दालचीनी की छाल में प्रोसानिडीन और कैटेचिन होते हैं। कैटेचिन सेल डैमेज को भी रोकते हैं।

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