साउथ कोरिया के  वैज्ञानिकों ने  एक ऐसी डिवाइस बनाई है जो फूंक मारने से  साँस  से आने वाली दुर्गन्ध का पता लगाएगी।   वैज्ञानिकों का कहना है, सांसों में दुर्गंध आना इस बात का इशारा है कि कई तरह की ओरल प्रॉब्लम हो सकती हैं। इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

 

वैज्ञानिकों का कहना है, मुंह और सांस में गंध के लिए हाइड्रोजन सल्फाइड गैस जिम्मेदार होती है। जो इंसान में बनती है। दुर्गंध का पता लगाने के लिए इंसान को डिवाइस में फूंकना पड़ता है। इस दौरान सांसों के जरिए डिवाइस तक हाइड्रोजन सल्फाइड गैस पहुंचती है। डिवाइस इस गैस को पहचानकर इससे जुड़े ऐप पर नतीजे भेजती है।

 

इसे तैयार करने वाले सैमगंस इलेक्ट्रॉनिक्स और कोरिया एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों का कहना है, नई डिवाइस की मदद से मरीज इस दुर्गंध की समस्या का शुरुआती दौर में इलाज करा सकेंगे। इस समस्या वैज्ञानिक भाषा में हेलीटोसिस कहते हैं।

 

यह डिवाइस रियल टाइम में जांच के नतीजे देती है। इसके लिए किसी तरह के सैम्पल की जरूरत नहीं होती। हाइड्रोजन सल्फाइड गैस शरीर में बनती है और सड़े हुए अंडे की तरह महसूस होती है।

 

इस डिवाइस को जल्द ही बाजार में उतारा जाएगा। इसे एक की-रिंग के तौर पर लॉन्च किया जा सकता है ताकि किसी भी जगह पर दुर्गंध की जांच करना आसान हो सके। इस डिवाइस को जल्द ही बाजार में उतारा जाएगा। इसे एक की-रिंग के तौर पर लॉन्च किया जा सकता है ताकि किसी भी जगह पर दुर्गंध की जांच करना आसान हो सके।

लैब की जरूरत नहीं, कहीं भी ले जा सकेंगे डिवाइस

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