नई सड़क बवाल के मुख्य आरोपित जफर हयात हाशमी और उसके संगठन जौहर फैंस एसोसिएशन के खातों में मोटी रकम ट्रांसफर होने के सुराग पुलिस के हाथ लगे हैं। पुलिस और एटीएस संयुक्त तौर पर जांच कर रही है।
नई सड़क बवाल के मुख्य आरोपित जफर हयात हाशमी और उसके संगठन जौहर फैंस एसोसिएशन के खातों में मोटी रकम ट्रांसफर होने के सुराग पुलिस के हाथ लगे हैं। पुलिस और एटीएस संयुक्त तौर पर जांच कर रही है। हालांकि पुलिस इस मामले में आधिकारिक तौर पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। यह भी जानकारी मिली है कि इन्हीं खातों में सीएए-एनआरसी विरोध में हुए बवाल के दौरान भी पैसा भेजा गया था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक बाबूपुरवा इलाके में स्थित प्राइवेट बैंक के खाते में जुलाई 2019 में लाखों रुपये भेजे गए थे। वर्तमान में इसमें करीब तीस लाख रुपये पड़े हैं। कुछ रकम बीच-बीच में निकाली गई। दो अन्य खातों में दो वर्षों के भीतर करोड़ों रुपयों का ट्रांजेक्शन होने की जानकारी मिली है। दोनों खातों में भी वर्तमान में 10-20 लाख रुपये मौजूद हैं।
कई लोगों को उपलब्ध कराई गई छोटी रकम
शहर के कई सफेदपोश, व्यापारी और समुदाय के लोग जफर के एसोसिएशन को छोटी-छोटी रकम लगातार देते आए हैं। जिस रकम का इस्तेमाल इसी तरह के धरना-प्रदर्शन में होता रहा है।
सीएए-एनआरसी विवाद के बाद बदला फंडिंग का तरीका
सीएए-एनआरसी विरोध में हुए बवाल के बाद से पीएफआई ने फंडिंग का तरीका भी बदल दिया है। सुर्खियों से बचने के लिए संगठन इंटरनेशनल फंडिंग से बचता है। यह खुलासा एटीएस की जांच में हुआ है। एटीएस सूत्रों के मुताबिक यहां भी कोई फंड मैनेजर है जिसने इंटरनेशनल अकाउंट से फंड अपने खाते में मंगाया और फिर बांटने का काम किया है। एटीएस सूत्रों के मुताबिक सीएए-एनआरसी विवाद के बाद पीएफआई संगठन ने सीधे तौर पर इंटरनेशनल फंड लेना बंद कर दिया।
उन्होंने शहरों में एक से दो ऐसे बड़े लोगों को छांटा जिनके यहां बड़े व्यापार के साथ कई सौ करोड़ का ट्रंजेक्शन हर माह होता हो। ऐसे लोगों को संगठन ने फंड मैनेजर बनाया और इंटरनेशल फंडिंग इन्हीं के खाते में भेजी गई। इन फंड मैनेजर ने उसे सफेद करके आगे बढ़ाने का काम किया। एटीएस सूत्रों के मुताबिक शहर में भी पीएफआई के फंड मैनेजर मौजूद हैं जो लोगों तक रकम पहुंचाने का काम करते हैं। इनकी तलाश की जा रही है।