कोरबा गांव में एक सप्ताह के अंदर 50 मवेशियों की मौत की जांच के दौरान चौकाने वाला तथ्य सामने आया है। जांच टीम का दावा है कि डबरी के पानी में कीट नाशक (जहर) मिला दिया गया था। डबरी का पानी पीने से मवेशियों की मौत हो गई। पोड़ी उपरोड़ा के एसडीएम ने इसकी रिपोर्ट कोरबा पुलिस चौकी में दर्ज कराई है। अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि किसने और किस मक्सद से डबरी के पानी में जहर मिलाया। जांच टीम का कहना है कि वैक्सीन लगाने से मौत होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है।
पोड़ी उपरोड़ा विकास खंड के ग्राम कोरबा में मवेशियों की मौत से प्रशासन में हड़कंप मच गया है। कलेक्टर रानू साहू ने प्रशासनिक स्तर पर जांच का आदेश जारी करते हुए पोड़ी उपरोड़ा एसडीए संजय मरकाम के नेतृत्व में जांच टीम गठित की थी। बुधवार को यह टीम पूरे दिन कोरबी में डंटी रही। टीम में शामिल पशु चिकित्सा विभाग विभाग के उपसंचालक एसपी सिंह ने बताया किया कि एक टंगिया और गलघोटू बीमारी निवारण के लिए इन दिनों सभी मवेशियों को एचएसबी-2 का टीका लगाया जा रहा है। कोरबा के मवेशियों को भी टीका लगाया गया था। इसके बाद भी मवेशियों के बीमार होने के कारण एंटीबायोटिक दवा फोर्टीफाइड प्रोकेन पेनिसिलिन का भी इंजेक्शन लगाया गया। जांच टीम के अध्यक्ष ने बताया कि ग्राम पंचायत कोरबी के डबरी मोहल्ले में एक छोटा डबरी है। जिसमें कीट नाशक दवा डाला गया है। इस डबरी का पानी पीने से ही मवेशियों की मौत हुई है। उन्होने बताया कि पानी का परीक्षण कराया गया है। जिसमें जहरीले दवा का समावेश पाया गया है। इसी डबरी के 250 मीटर के दायरे में ही सभी मवेशियों की मौत हुई है। डबरी के पानी में जहर मिलाने वाले अज्ञात आरोपित के खिलाफ कोरबा थाने में एफआइआर दर्ज कराया गया है। डबरी के पानी का जांच जिला पर्यावरण कार्यालय लैब में कराया गया, जिसमें उसके जहरीले होने का प्रमाण पाया गया है।
रायपुर व दुर्ग से पहुंची से पहुंची टीम
मवेशियों की मौत की जांच करने के लिए राज्य शासन की ओर से जांच टीम भेजी गई है। रायपुर और दुर्ग से पहुंची जांच टीम में पहुंची थी। पशु रोग विशेषज्ञ डा अनूप चटर्जी के नेतृत्व में पहुंची टीम में मृत मवेशियों का बिसरा व जीवित के लार का सैंपल लिया है। साथ ही आसपास के घास और तालाब के पानी का भी सैंपल लिया है। टीम के सदस्यों ने बताया कि रिपोर्ट राज्य शासन को सौंपी जाएगी।