महाराष्ट्र में अब तक एवैस्कुलर नेक्रोसिस के कई मामले सामने आ चुके हैं। इसमे एक मामला ऐसा भी आया है जिसमें कोरोना से ठीक होने के बाद 22 साल की मरीज को एवैस्कुलर नेक्रोसिस से जूझ रही था। इलाज करने वाले एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल का कहना है, मरीज जब यहां लाई गई तो हालत काफी खराब हो चुकी थी। उसके घुटने और कूल्हे के 2-2 जोड़ों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस हो चुका था। चारों जोड़ों में दिक्कत होने के कारण वह चल फिर नहीं सकती थी।
क्या है एवैस्कुलर नेक्रोसिस (AVN)
यह ऐसी स्थिति जब खून की सप्लाई बंद होने से हड्डियों के उतक डेड होने शुरू हो जाते हैं। इसकी वजह स्टेरायड हैं, जो कोविड के कारण हुए निमोनिया के इलाज के दौरान लिए जाते हैँ। कई रिसर्च में दावा किया गया है कि ऐसी स्थिति में एवैस्कुलर नेक्रोसिस का खतरा बढ़ जाता है।एवैस्कुलर नेक्रोसिस होने के बाद जोड़ों में दर्द शुरू होने के कारण मरीज चलफिर नहीं पाता क्योंकि इस बीमारी का सीधा कनेक्शन इंसान की हड्डियों से होता है।
हॉस्पिटल का कहना है, कोविड से रिकवर होने के तीन हफ्ते बाद मरीज के दाएं कुल्हे में हल्का दर्द हुआ। शुरू में उसे लगा कि यह पोस्ट कोविड का कोई लक्षण है। इसलिए उसकी स्थिति खराब होती गई। उसका दायां पैर शरीर का भार नहीं उठा पा रहा था। दाएं पैर से दर्द धीरे-धीरे बाएं कूल्हे तक पहुंच गया। इसके बाद दाएं और बाएं दोनों घुटनों में दर्द शुरू हो गया।
हॉस्पिटल में जॉइंट रिप्लेसमेंट और ऑर्थोपेडिक्स विभाग के एचओडी डॉ. राजीव वर्मा का कहना है, हॉस्पिटल में भर्ती होने पर मरीज का एमआरआई और रेडियोग्राफ करवाया गया। इसके बाद यह पता चला कि उसके कुल्हे के दो जोड़ और घुटनों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस था। इसके लिए उसे कोर-डिकम्प्रेशन सर्जरी कराने की सलाह दी गई।डॉ. राजीव कहते हैं, कूल्कों और घुटनों में दर्द के साथ सूजन होने के कारण मरीज चल-फिर नहीं पा रही थी। इसलिए सर्जरी की गई। 3 घंटे चली सर्जरी के बाद लक्षणों में कमी आई।