सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली बच्चों को हो रही है। तपती दोपहर में स्कूल से निकलने पर बच्चे लू और हीट स्ट्रोक की चपेट में आ रहे हैं। साथ ही तेज धूप से घर पहुंचने पर ठंडा पानी पीकर बच्चे सर्द-गर्म का भी शि

गाजियाबाद में पारा चढ़ने का असर बच्चों पर पड़ रहा है। इस कारण जिले के सरकारी व निजी अस्पतालों में बच्चों की ओपीडी भी बढ़ गई है। इस वक्त उल्टी, दस्त, बुखार व सिरदर्द की शिकायत लेकर सबसे ज्यादा बच्चों के अभिभावक आ रहे हैं। इनकी संख्या अस्पतालों में तीन गुना तक बढ़ गई है।

सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली बच्चों को हो रही है। तपती दोपहर में स्कूल से निकलने पर बच्चे लू और हीट स्ट्रोक की चपेट में आ रहे हैं। साथ ही तेज धूप से घर पहुंचने पर ठंडा पानी पीकर बच्चे सर्द-गर्म का भी शिकार हो रहे हैं। एमएमजी अस्पताल की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शालिनी तिवारी बताती हैं कि रोजाना 150 से अधिक बच्चे आ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर बच्चों को उल्टी-दस्त, डिहाईड्रेशन और सर्दी जुकाम से पीड़ित होते हैं।

महज 10 प्रतिशत बच्चें ही अन्य बीमारियों से पीड़ित आ रहे हैं। इनमें भी अधिकांश संख्या आठ से 15 वर्ष वाले बच्चों की है। डिहाइड्रेशन और डायरिया के मरीजों को भर्ती भी करना पड़ रहा है। एमएमजी अस्पताल के सीनियर पीडियाट्रीशियन डॉ. रमेश चंद्रा के अनुसार पिछले एक महीने में ही बच्चों के बीमार होने का सिलसिला शुरू हुआ है। इसके पहले उल्टी-दस्त आदि बीमारियों के बच्चों की संख्या बेहद कम थी। संयुक्त अस्पताल की बाल रोग विशेषज्ञ डा अर्चना सिंह बताती हैं कि गर्मी बढ़ने के बाद बच्चों में डायरिया की बीमारी बढ़ गई है।

पहले के मुकाबले तीन गुना बच्चों के मरीज बढ़ गए हैं। वहीं, जिला महिला अस्पताल में इन बीमारियों से पीड़ित बच्चों के पहुंचने का आंकड़ा भी पिछले 20 दिनों में बढ़ा है। महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. संगीता गोयल बताती हैं कि अस्पताल की चाइल्ड ओपीडी में पिछले 20 दिनों से 12 साल तक के बच्चों के आने की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।

अधिकांश बच्चे डिहाईड्रेशन और उल्टी-दस्त से पीड़ित होते हैं। रोजाना 70 से 100 बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं। यशोदा हास्पिटल कौशांबी के कार्पोरेट कम्युनिकेशन प्रमुख गौरव पांडेय बताते हैं कि गर्मी बढ़ने का असर बच्चों पर पड़ रहा है। इस कारण पहले के मुकाबले 30 फीसदी अधिक बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं।

एमएमजी अस्पताल में ही उल्टी, दस्त, बुखार, डिहाईड्रेशन के रोजाना 15 से अधिक बच्चों को भर्ती भी करना पड़ रहा है। एमएमजी अस्पताल की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शालिनी तिवारी बताती हैं कि उनकी ओपीडी में जो बच्चे ज्यादा बीमार होते हैं, उन्हें भर्ती किया जाता है। रोजाना 10 से 12 बच्चों को भर्ती किया जाता है। वहीं कई बच्चे सीधे इमरजेंसी में पहुंच रहे हैं। हालांकि उनकी संख्या कम होती है।

बचाव के उपाय
तेज धूप में बच्चों का सिर ढक कर रखें। धूप से घर में आने पर तुरंत पानी ना दें, पहले उनका पसीना सुखने दें, फिर पानी दें। ठेलियों पर खुले रखे खाद्य पादर्थों को खाने से बचें। अभिभावक बच्चों को वॉटर बोटल में ग्लूकोज मिलाकर दें। बच्चे सुबह कुछ खाने के बाद ही स्कूल जाएं। परेशानी होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।

क्यों हो रहे बीमार
चिकित्सक बताते हैं कि बच्चे दोपहर में लगभग दो बजे स्कूल से निकलते हैं। उस समय गर्मी और धूप बेहद तेज होती है। ऐसे में बच्चों को हीट स्ट्रोक का खतरा रहता है। इसके अलावा लगभग आधा घंटा तेज धूप में रहने के कारण बच्चों को तेज प्यास लगती है और वह घर जाकर ठंडा पानी पी लेते हैं। या ठेलियों पर बिकने वाले ठंडी चीजें खा लेते हैं। इससे बच्चों को इंफेक्शन हो जाता है।

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