सीलबंद लिफाफे में जमा की गई रिपोर्ट की एक कॉपी याचिकाकर्ताओं के वकीलों की ओर से साझा की गई है.
नई दिल्ली :
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi mosque) के फिल्मांकन की एक रिपोर्ट आज कोर्ट में पेश की गई. मामले में हिंदू याचिकाकर्ताओं ने मस्जिद परिसर के अंदर मूर्तियां होने का दावा करते हुए इनकी पूजा की इजाजत देने का आग्रह किया था. सीलबंद लिफाफे में जमा की गई रिपोर्ट की एक कॉपी याचिकाकर्ताओं के वकीलों की ओर से साझा की गई है और यह याचिकाकर्ताओं के मस्जिद में हिंदू मूर्तियों की मौजूदगी के सबूत के दावों का समर्थन करती प्रतीत होती है. NDTV स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट की सत्यता की पुष्टि नहीं करता. सूत्र बताते हैं, ‘रिपोर्ट कहती है कि मस्जिद के बेसमेंट के खंभों में फूल की नक्काशी और एक कलश है’
रिपोर्ट के कुछ निष्कर्ष इस प्रकार हैं…
– तहखाने के एक खंभे पर प्राचीन हिंदी भाषा में नक्काशी पाई गई थी.
– तहखाने की एक दीवार पर ‘त्रिशूल’ का चिह्न पाया गया है.
– मस्जिद की पश्चिमी दीवार से दो बड़े स्तंभ और एक मेहराब निकला हुआ है.
– याचिकाकर्ताओं ने इन्हें मस्जिद का अवशेष बताया जबकि मस्जिद कमेटी ने इसका विरोध किया.
– मस्जिद कें केंद्रीय गुंबद (central dome) के नीचे एक शंक्वाकार संरचना (conical structure) मिली.
– मस्जिद के तीसरे गुंबद के नीचे के पत्थर परपर कमल की नक्काशी है.
– वुज़ू के लिए उपयोग किए जाने वाले तालाब में 2.5 फीट ऊंची गोल संरचना देखी गई. जहां याचिकाकर्ताओं ने इसे शिवलिंग बताया, वही मस्जिद कमेटी ने कहा कि यह एक फव्वारा था.
– मस्जिद कमेटी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. उनका कहना है कि यह हैरतअंगेज है कि संवेदनशील प्रकृति की रिपोर्ट्स को कोर्ट की ओर से कोई राय देने के पहले ही शेयर किया जा रहा है.
– इस सबके बीच यह मूल प्रश्न अनुत्तरित है कि क्या यह सर्वे, पूजास्थल अधिनियम 1991 (Places of Worship Act of 1991) का उल्लंघन करता है.
– तहखाने के एक खंभे पर प्राचीन हिंदी भाषा में नक्काशी पाई गई थी.
– तहखाने की एक दीवार पर ‘त्रिशूल’ का चिह्न पाया गया है.
– मस्जिद की पश्चिमी दीवार से दो बड़े स्तंभ और एक मेहराब निकला हुआ है.
– याचिकाकर्ताओं ने इन्हें मस्जिद का अवशेष बताया जबकि मस्जिद कमेटी ने इसका विरोध किया.
– मस्जिद कें केंद्रीय गुंबद (central dome) के नीचे एक शंक्वाकार संरचना (conical structure) मिली.
– मस्जिद के तीसरे गुंबद के नीचे के पत्थर परपर कमल की नक्काशी है.
– वुज़ू के लिए उपयोग किए जाने वाले तालाब में 2.5 फीट ऊंची गोल संरचना देखी गई. जहां याचिकाकर्ताओं ने इसे शिवलिंग बताया, वही मस्जिद कमेटी ने कहा कि यह एक फव्वारा था.
– मस्जिद कमेटी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. उनका कहना है कि यह हैरतअंगेज है कि संवेदनशील प्रकृति की रिपोर्ट्स को कोर्ट की ओर से कोई राय देने के पहले ही शेयर किया जा रहा है.
– इस सबके बीच यह मूल प्रश्न अनुत्तरित है कि क्या यह सर्वे, पूजास्थल अधिनियम 1991 (Places of Worship Act of 1991) का उल्लंघन करता है.