तमिलनाडु के एक मंत्री का यह कहना कि हिन्दी बोलने वाले पानीपुरी बेच रहे हैं वाले बयान पर संजय राउत ने कहा कि किसी भी भाषा का अपमान नहीं होना चाहिए। उन्होंने एक देश एक भाषा होनी जरूरी है…

हिन्दी भाषा को लेकर देश में मचा संग्राम एक बार फिर तेज हो गया है। तमिलनाडु के एक मंत्री का यह कहना कि हिन्दी बोलने वाले पानीपुरी बेच रहे हैं पर पलटवार करते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि किसी भी भाषा का अपमान नहीं होना चाहिए। एक देश एक भाषा की वकालत करते हुए राउत ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह को “चुनौती” लेनी चाहिए कि सभी राज्यों में एक भाषा होनी चाहिए। बता दें कि शिवसेना शुरू से ही महाराष्ट्र में मराठी भाषा का प्रतिनिधित्व करती रही है।

शनिवार को शिवसेना ने ‘एक देश, एक भाषा’ की वकालत की। शिवसेना सांसद और मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि हिंदी पूरे देश में बोली और स्वीकार की जाती है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को “चुनौती” लेनी चाहिए कि सभी राज्यों में एक भाषा होनी चाहिए।

शिवसेना का यह बयान तब आया है जब एक दिन पहले तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि जो लोग पानी पुरी बेचने में लगे हैं वे हिंदी भाषी हैं। राउत ने कहा कि किसी भी भाषा का अपमान नहीं होना चाहिए।

दरअसल, इसकी शुरुआत पिछले महीने अमित शाह के एक बयान से हुई थी। पिछले महीने शाह ने अंग्रेजी के विकल्प के रूप में हिंदी की वकालत की और कहा कि यह भारत की भाषा होनी चाहिए। इस बयान की विपक्ष ने आलोचना की थी।

अप्रैल में, संसदीय राजभाषा समिति के अध्यक्ष अमित शाह ने सदस्यों को सूचित किया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल का 70% एजेंडा अब हिंदी में तैयार किया जाएगा। गृह मंत्रालय के एक बयान में शाह के हवाले से कहा गया है कि राजभाषा को देश की एकता का अहम हिस्सा बनाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि जब अन्य भाषा बोलने वाले राज्यों के नागरिक आपस में संवाद करते हैं, तो यह भारत की भाषा में होना चाहिए। हिन्दी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए न कि स्थानीय भाषाओं के रूप में।

तमिलनाडु के मंत्री की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर राउत ने मुंबई में मीडियाकर्मियों से कहा, “जब भी मुझे सदन में बोलने का मौका मिलता है तो मैं हिंदी का उपयोग करता हूं, क्योंकि देश के लोगों को सुनना चाहिए। हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जो स्वीकार्यता है और पूरे देश में बोली जाती है।”

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