पाकिस्तान में स्थानीय प्रशासन की धमकियों और गुंडों की धमकियों से परेशान होकर 10 लोगों का परिवार भारत आ गया। वीजा रद्द होने की वजह से पहले नेपाल गए और फिर भारत पहुंचे।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की वजह से बहुत सारे हिंदू परिवार भारत आना चाहते हैं। हालांकि पाकिस्तान उन्हें आसानी से आने भी नहीं देना चाहता है। 10 लोगों के एक दलित परिवार का वीजा कैंसल होने की वजह से उन्हें नेपाल से घूमकर बाड़मेर आना पड़ा। वे सिंध के मीरपुर खास के रहने वाले थे।
बता दें कि वैसे मीरपुर खास से बाड़मेर की सीधी दूरी मात्र 240 किलोमीटर की है। पहले दोनों ट्रेनों के बीच थार एक्सप्रेस चला करती थी लेकिन 2019 में पाकिस्तान ने इसका संचालन बंद कर दिया था। जब भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा लिया तो पाकिस्तान ने थार एक्सप्रेस पर भी रोक लगा दी।
32 वर्षीय राजेश कुमार ने हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए कहा कि पाकिस्तान में उन्हें लगातार धमकियां मिलती थीं। छोटे भाई हरीश को पाकिस्तान की एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। कुमार ने कहा, सितंबर 2021 में रिहा होते ही हरीश को उनके ही दोस्तों ने किडनैप कर लिया और फिरौती मांगने लगे। वे महिलाओं से रेप की धमकी देते थे। जब किडनैपर्स को पता चला कि उनके पास देने के लिए पैसे नहीं हैं तो 47 दिन के बाद उसे छोड़ा गया।
उन्होंने कहा, अगर हम पाकिस्तान में रुक जाते तो पता नहीं हमारे साथ क्या होता। परिवार दलित मेघवाल है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में काफी संख्या में हिंदू रहते हैं। जब स्थानीय प्रशासन की ओर से लगातार धमकियां मिलती रहीं तो परिवार ने पाकिस्तान छोड़ने का प्लान बना लिया। 9 दिसंबर को पूरा परिवार दुबई चला गया था। वहां से उन्होंने भारत का वीजा लगाया था जो कि खारिज कर दिया गया।
16 दिसंबर को पूरा परिवार नेपाल के लिए निकल पड़ा। उन्हें लगा कि नेपाल से आसानी से भारत का वीजा मिल जाएगा। कुमार ने कहा कि हरीश के खिलाफ केस चल रहा है इसलिए वह अभी भारत नहीं आया है। वह नेपाल में ही है। उन्होंने कहा कि नेपाल में एक स्थानीय व्यक्ति की मदद से वे बॉर्डर क्रॉस करके भारत आ गए।