कई बार कंपनियों की ये पॉलिसी होती है कि वे अपने यहां किसी अपराधिक रिकॉर्ड वाले कर्मचारियों को काम पर नहीं रखती है। ऐसे में कई कर्मचारी जॉब करने की चाह में अपने क्रिमिनल रिकॉर्ड छिपा लेते हैं, जिसका बाद में खुलासा होने पर कंपनी उन्हें काम से निकाल देती है।
न्यायाधीश अजय रस्तोगी और संजीव खन्ना की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि इस तथ्य की परवाह किए बिना की कोई दोषी करार दिया गया है या नहीं, सिर्फ जानकारी को छिपाने और झूठी जानकारी देने पर एक झटके में नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए। इसके लिए कंपनी के पास अन्य ठोस आधार भी होना आवश्यक हैं।
ये है पूरा मामला
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे सुरक्षा बल में कांस्टेबल के पद पर तैनात पवन कुमार की याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान ये बात सामने आई कि, कांस्टेबल पवन कुमार को RPF में कांस्टेबल के पद पर नियुक्त किया गया था।
लेकिन जब वो ट्रेनिंग कर रहे थे तो उन्हें इस आधार पर हटा दिया गया कि उन्होंने यह जानकारी नहीं दी थी कि उनके खिलाफ पुराने किसी मामले में FIR दर्ज की गई थी।