Ukraine Russia Conflict: युद्ध हमेशा बर्बादी ही लाता है. बुद्धिमानों ने हमेशा युद्ध से दूर रहने की ही सलाह दी है. इस हकीकत से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी अच्छे से परिचित हैं. इसके बावजूद भी यूक्रेन से जंग का ऐलान कर दिया और तीन महीने से ज्यादा वक्त से यह जंग जारी है. इसका ही नतीजा है कि यूक्रेन के ज्यादातर क्षेत्र अब तबाह हो चुके हैं. युद्ध से सिर्फ यूक्रेन ही नहीं बल्कि रूस भी उतना ही प्रभावित है. रूस में भी इस युद्ध के परिणाम दिखने लगे हैं. विदेशी मीडिया की रिपोर्ट साफ दर्शा रही हैं कि रूस आर्थिक रूप से टूटने लगा है.

रूस के अमीरों की कमर टूटी

वाशिंगटन पोस्ट की खबर के मुताबिक यूक्रेन से युद्ध के चलते रूस में अमीरों की रात की नींद और दिन का चैन छिन गया है. रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से रूस के एलीट क्लास यानी संभ्रांत वर्ग को बड़ा नुकसान पहुंचा है. रूस के संभ्रांत वर्ग में दरारें उभरने लगी हैं. वहां के टाइकून रूस के आक्रण के फैसले पर विलाप कर रहे हैं. जब से रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया है, दो महीनों में, रूसी संभ्रांत वर्ग ने लंबी चुप्पी साध ली है.

रूसी संभ्रांत दो गुट में बंटे

जनमत सर्वेक्षणों में भले ही रूसी सैन्य अभियान के लिए भारी जन समर्थन की रिपोर्ट सामने आ चुकी है. इसके बावजूद रूस में बड़े स्तर पर युद्ध की आलोचना करने की भी खबरें सामने आती रही हैं. रूस के आर्थिक संभ्रांत वर्ग में दरारें खिंचने लगी हैं. रूसी आर्थिक संभ्रांत वर्ग के गुटों के बीच विभाजन रेखा अधिक स्पष्ट होती जा रही है. इसमें विशेष रूप से रूस के वो टाइकून शामिल हैं, जो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सत्ता से पहले देश में खुद को मजबूत कर चुके हैं.

प्रतिबंधों के चलते रूसी अर्थव्यवस्था बिगड़ी

पश्चिम द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंधों ने रूस की अर्थव्यवस्था पर बड़ी चोट पहुंचाई है. इन प्रतिबंधों ने कई रूसी टाइकून की संपत्ति के दसियों अरबों डॉलर को फ्रीज कर दिया है. एक रूसी व्यवसायी ने बताया कि इन प्रतिबंधों के चलते उनकी कई सालों की कमाई एक दिन में बर्बाद हो गई. यो वही व्यवसायी है, जिसे यूक्रेन पर आक्रमण के दिन पुतिन से मिलने के लिए देश के कई अन्य सबसे अमीर लोगों के साथ बुलाया गया था.

कई दिग्गज रूस छोड़कर भागे

पुतिन के पूर्ववर्ती राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के समय की कई दिग्गज हस्तियों ने रूस छोड़ दिया है. कम से कम चार वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ दिया है. उनमें से सर्वोच्च रैंकिंग पर विकास के लिए क्रेमलिन के विशेष दूत और येल्तसिन-युग के निजीकरण के स्तंभ कहे जाने वाले अनातोली चुबैस हैं.

सीधे तौर पर कोई नहीं कर रहा पुतिन की आलोचना

शीर्ष पदों पर तैनात कुछ फंसे हुए हैं, चाहकर भी रूस छोड़ने में असमर्थ हैं. इनमें से सबसे ऊपर केंद्रीय बैंक प्रमुख एलविरा नबीउलीना हैं. उन्होंने पश्चिमी प्रतिबंधों के लागू होने के बाद अपना इस्तीफा दे दिया था. लेकिन, इस स्थिति से परिचित पांच लोगों के अनुसार पुतिन ने उन्हें पद छोड़ने से इनकार कर दिया था. कई रूसी अरबपतियों, वरिष्ठ बैंकरों, वरिष्ठ अधिकारी और पूर्व अधिकारियों ने जान के डर से नाम न छापने की शर्त पर अपना दर्द बयां किया. उन्होंने अपनी पहचान छिपाते हुए बताया कि कैसे वे और अन्य लोग अलग-थलग पड़े पुतिन की बातों में भटक गए. किसी ने भी सीधे तौर पर पुतिन की आलोचना नहीं की है.

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