मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने चुनाव से पहले बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वरिष्ठ विधायक डॉ. गोविंद सिंह को यह पद सौंप दिया है। गोविंद सिंह सात बार से विधायक हैं। लंबे समय से उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के लिए मांग चल रही थी।अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल के हस्ताक्षर से आज डॉ. गोविंद सिंह के नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के आदेश जारी किए गए। इसके मुताबिक कमलनाथ ने इस पद से इस्तीफा दे दिया है जिसे स्वीकार कर लिया गया है।

बने रहेंगे प्रदेश अध्यक्ष
वेणुगोपाल ने नेता प्रतिपक्ष के रूप में कमलनाथ के योगदान की सराहना की है। डॉ. गोविंद सिंह के नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि कमलनाथ ने पार्टी के एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के तहत विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से त्यागपत्र देने की पेशकश की थी। कमलनाथ कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे। मध्य प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं।

सातवीं बार के विधायक डॉ. गोविंद सिंह
डॉ. गोविंद सिंह भिंड जिले की लहार विधानसभा सीट से विधायक हैं। वे लगातार सातवीं बार विधायक चुनकर आए हैं। उन्होंने सत्तर के दशक से छात्र राजनीति से अपनी शुरुआत की थी और शासकीय आयुर्वेदी कॉलेज जबलपुर के छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे। इसके बाद वे सहकारिता क्षेत्र में सक्रिय हो गए। 1985 में भिंड नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष बने। 1990 में पहली बार विधायक चुने गए।

भिंड के कांग्रेस विधायक डॉ. गोविंद सिंह दिग्विजय सिंह के पहले कार्यकाल में 1997 में उत्कृष्ट विधायक चुने गए थे। उनके दूसरे मुख्यमंत्रित्व काल में पहले गृह राज्य मंत्री बने थे और उन्हें सहकारिता विभाग की जिम्मा भी दिया गया था। 2002 में वे कैबिनेट मंत्री बनाए थे। इसके बाद भाजपा सरकार बनने पर कांग्रेस पार्टी के विधायक दल के मुख्य सचेतक बनाए गए थे। गोविंद सिंह विधानसभा की लोकलेखा समिति के सभापति भी रहे और फिर कमलनाथ सरकार बनने पर ससंदीय कार्य और सहकारिता मंत्री बने थे।

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