तालिबान एक महिला विरोधी संघठन के रूप में जाना जाता है। अफगानिस्तान में पिछले साल अगस्त के महीने में तालिबान ने कब्जा कर लिया और तबसे अफगानिस्तान की हालत बेहद खराब है और उससे भी ज्यादा खराब हालत में हैं वहां की लडकियां और महिलाएं। अफगानिस्तान में लडकियां अब खौफ में जी रही हैं बिना पुरुषों के वो बाहर नहीं जा सकती, बिना बुर्के के वो घर से नहीं निकल सकती, बच्चियां स्कूल नहीं जाती क्योंकि आये दिन तालिबान स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए नए कानून बनाता है। कभी स्कूल में लडकियां और लड़के साथ नहीं बैठेंगे ये कानून तो कभी लड़कियों को पुरुष शिक्षक नहीं पढ़ा पाएंगे ये कानून ऐसे रोज ढेरों कानून अफगान की लड़कियों और महिलाओं के लिए तालिबान बनाता है।
अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने लड़कियों की माध्यमिक शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रतिबंध लगने के बाद से लगातार तालिबान सरकार की आलोचना हो रही थी जिसके बाद सामुदायिक दबाव के कारण कुछ लड़कियों के माध्यमिक विद्यालय लगभग नौ प्रांतों में फिर से खुल गए हैं।
ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) के अनुसार, तालिबान द्वारा मार्च में सभी स्कूलों को फिर से खोलने के अपने वादे को तोड़ने के बाद इनमें से कई बंद हो गए।
एचआरडब्ल्यू ने कहा कि ‘लेकिन उत्तरी अफगानिस्तान में बल्ख प्रांत के स्कूल अनोखे कारण के जाना जा रहा है क्योंकि इन प्रांतों के सभी स्कूल तालिबान के सत्ता में आने के भी लड़कियों के अभी माध्यमिक विद्यालय खुले रहे हैं। लेकिन बल्ख और अन्य जगहों पर खुले स्कूलों को बंद करने की धमकी दी गई है, अगर वे जल्द से जल्द तालिबानियों द्वारा कठोर ड्रेस कोड का पालन नहीं किया तो सभी स्कूल फिरसे बंद कर दिया जाएगा।
सभी बच्चियों का स्कूल में हिजाब पहनना अनिवार्य है इसके संबंध में एक शिक्षक ने कहा कि, ‘हिजाब पर आवश्यकताएं दिन-ब-दिन कठिन होती जा रही हैं।’ ‘तालिबानियों के पास रिकॉर्ड करने और रिपोर्ट करने के लिए कई जासूस हैं …. यदि कोई छात्रा या शिक्षक अपने सख्त हिजाब नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो बिना किसी हिदायत या चर्चा के वे शिक्षकों को निकाल देते हैं और छात्रों को निष्कासित कर देते हैं।’
वहीं दूसरे स्कूल के एक छात्र ने समझाया ‘हमें बेल्ट पहनने की अनुमति नहीं है। हमारी कोहनी और हमारी बाहों के आकार को छिपाने के लिए हमारी आस्तीन बड़ी होनी चाहिए। लेकिन फिर हमें फटकार लगाई गई क्योंकि जब हम बोर्ड पर लिखते हैं, तो हमारी आस्तीन वापस लुढ़क जाती है और हमारी बाहें खुल जाती हैं … एक दिन हमें ढीली बाजू रखने के लिए कहा जाता है, और अगले दिन हमें इसके लिए नसीहत दी जाती है।’