लखनऊ। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव से नाराज चल रहे हैं। पार्टी में लगातार हो रही उपेक्षा इसकी वजह है। शिवपाल कहते हैं कि अखिलेश के लिए 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से हटाने का बहुत अच्छा मौका था, किंतु ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि।’ शिवपाल यादव से विशेष संवाददाता शोभित श्रीवास्तव की बातचीत के अंश :
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से आपकी नाराजगी के क्या कारण हैं?
-विधानसभा चुनाव से पहले मैंने सपा की सदस्यता ली। फिर चुनाव सपा के टिकट से लड़ा। सपा के 111 विधायकों में से मैं भी एक हूं। इसके बावजूद मुझे सपा विधान मंडल दल की बैठक में नहीं बुलाया गया। अखिलेश से जब इस बारे में कहा तो उन्होंने गठबंधन के दलों के साथ बैठक में बुलाने की बात कही। मेरा सपा के साथ कोई गठबंधन नहीं हुआ था, मैं तो सपा में शामिल होकर चुनाव लड़ा था। यदि गठबंधन में मुझे मानते थे तो चुनाव से पहले गठबंधन की बैठकों में मुझे क्यों नहीं बुलाया गया?
क्या आपको नहीं लगता कि सपा के चक्कर में आपने अपनी पार्टी कुर्बान कर दी
-विधानसभा चुनाव से पहले रथयात्रा निकालकर मैं प्रदेश के सभी जिलों में गया। कार्यकर्ता चाहते थे कि हम (सपा-प्रसपा) एक हो जाएं। जनता की आवाज पर मैं पूरे समर्पण भाव से सपा में शामिल हुआ। अखिलेश को अपना नेता मान लिया। सपा में नेताजी (मुलायम सिंह यादव) व आजम खां के बाद सबसे वरिष्ठ नेता मैं ही था, इसके बावजूद मेरा उपयोग चुनाव में नहीं किया गया। मुझे स्टार प्रचारकों में भी नहीं रखा गया, पार्टी में कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई। विपक्ष के नेताओं में सबसे बड़ी जीत के बावजूद मेरी उपेक्षा हो रही है। सपा में मुझे अपमान के सिवा कुछ नहीं मिला। अखिलेश अगर में मेरी पार्टी के नेताओं व संगठन का चुनाव में इस्तेमाल करते तो आज सरकार में होते। उलटे उन्होंने मेरे समर्थक नेताओं का अपमान किया। भाजपा को हटाने का अच्छा मौका था लेकिन अखिलेश का हाल ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’ जैसा हो गया है।
आपकी अखिलेश से आखिरी बार मुलाकात कब हुई थी ?
-मेरी अखिलेश से आखिरी मुलाकात 25 मार्च हो हुई थी, इसके बाद 26 को विधानमंडल दल की बैठक बुलाई गई थी।
-चुनाव में आप एक सीट पर कैसे राजी हो गए?
-मैंने शुरुआत में 100 सीटें अखिलेश से मांगी थीं। उन्होंने मना किया तो मैंने 35 जीतने वाले प्रत्याशियों के नाम उन्हें दे दिए। अंत में मैंने यहां तक कहा कि कम से कम 15 सीटें तो दे ही दीजिए। उन्होंने केवल एक सीट दी। मैं राजी इसलिए हो गया, क्योंकि सभी जगह से एक ही आवाज आ रही थी कि दोनों एक हो जाओ।
-क्या वजह है कि आपने पहली बार मुलायम सिंह यादव पर सीधा हमला किया ?
-मैंने नेताजी (मुलायम सिंह यादव) पर कोई हमला नहीं बोला। मैंने तो सिर्फ इतना ही कहा कि आजम खां जैसे वरिष्ठ समाजवादी नेता के उत्पीडऩ मामले को नेताजी को अपनी अगुवाई में उठाना चाहिए था। नेताजी इस मामले को लोकसभा में उठा सकते थे, प्रधानमंत्री से बात कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।