मौलाना जौहर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। अगस्त में अब इस मामले की  आगे की सुनवाई होगी। हाईकोर्ट ने 12.5 एकड़ छोड़ कर बाकी 450 एकड़ से ज्यादा जमीन पर सरकार के नियंत्रण का आदेश दिया था।

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान से जुड़े मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के लिए सुप्रीम कोर्ट से राहत भरी खबर आई है। दरअसल, विश्विद्यालय बनवाने के लिए अधिगृहीत जमीन सरकार को लौटाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। अगस्त में अब इस मामले की सुनवाई होगी। हाईकोर्ट ने 12.5 एकड़ छोड़ कर बाकी 450 एकड़ से ज्यादा जमीन पर सरकार के नियंत्रण का आदेश दिया था। मौलाना जौहर यूनिवर्सिटी की यह जमीन उत्तर प्रदेश के रामपुर में है। आजम और उनके परिवार के सदस्य इस यूनिवर्सिटी के ट्रस्टी हैं।

क्या था हाईकोर्ट का आदेश
सितंबर में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खां के मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट रामपुर द्वारा अधिग्रहीत 12.50 एकड़ जमीन के अतिरिक्त जमीन को राज्य में निहित करने के एडीएम वित्त के आदेश को सही करार दिया था। बता दें कि विश्वविद्यालय निर्माण के लिए लगभग 471 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गई थी। लेकिन अदालत ने केवल 12.50 एकड़ जमीन ही ट्रस्ट के अधिकार में रखने के लिए कहा था। कोर्ट ने एसडीएम की रिपोर्ट व एडीएम के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली ट्रस्ट की याचिका खारिज कर दी थी।

हाईकोर्ट ने क्या कहा था?
हाईकोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जाति की जमीन बिना जिलाधिकारी की अनुमति के अवैध रूप से ली गई। अधिग्रहण शर्तों का उल्लंघन कर शैक्षिक कार्य के लिए निर्माण के बजाय मस्जिद का निर्माण कराया गया। ग्राम सभा की सार्वजनिक उपयोग की चक रोड जमीन व नदी किनारे की सरकारी जमीन ले ली गई। किसानों से जबरन बैनामा करा लिया गया, जिसमें 26 किसानों ने पूर्व मंत्री एवं ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खां के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। कोर्ट ने कहा विश्वविद्यालय का निर्माण पांच साल में होना था, जिसकी वार्षिक रिपोर्ट नहीं दी गई। कानूनी उपबंधों व शर्तों का उल्लंघन करने के आधार पर जमीन राज्य में निहित करने के आदेश पर हस्तक्षेप नहीं कर सकते।

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