अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रूसी ऊर्जा खरीद में वृद्धि के खिलाफ सहयोगियों और भागीदारों को आगाह किया। लेकिन इस दौरान उन्होंने यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्थिति को लेकर भी समझ दिखाई। भारत और अमेरिका के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता के समापन के बाद एक संयुक्त मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए, ब्लिंकन ने कहा कि मॉस्को के साथ नई दिल्ली के संबंध अब से नहीं बल्कि दशकों से हैं।

उन्होंने कहा, “रूस के साथ भारत के संबंध दशकों में विकसित हुए हैं। वो संबंध ऐसे समय में विकसित हुए जब अमेरिका दक्षिण एशियाई देश (भारत) का भागीदार बनने में सक्षम नहीं था।”

हालांकि, उन्होंने कहा कि “वक्त बदल गया है” और अमेरिका अब “कॉमर्स, टेक्नोलॉजी, शिक्षा और सुरक्षा” सहित लगभग हर क्षेत्र में भारत के साथ पसंद का भागीदार बनने में सक्षम और इच्छुक है। और यही आज की बातचीत का मुद्दा था।” रूस से तेल खरीद और प्रतिबंधों के मुद्दे पर, शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि “ऊर्जा खरीद में गिरावट देखी गई है।”

उन्होंने कहा, “बेशक, हम देशों को रूस से अतिरिक्त ऊर्जा आपूर्ति नहीं खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। लेकिन हर देश अलग-अलग स्थित है, अलग-अलग जरूरतें, आवश्यकताएं हैं, लेकिन हम सहयोगियों और भागीदारों को रूसी ऊर्जा की खरीद में वृद्धि नहीं करने के लिए कह रहे हैं।”

इससे पहले भारत और अमेरिका ने मंत्री स्तरीय टू प्लस टू वार्ता में  सैन्य सहयोग  मजबूत बनाने, इसका दायरा बढ़ाने, रक्षा क्षेत्र में सह उत्पादन करने, अधिक संयुक्त सैन्य अभयसों में हस्सिा लेने और हिंद प्रशांत  क्षेत्र को मुक्त तथा समावेशी बनाने पर सहमति व्यक्त की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जय शंकर ने सोमवार देर रात वॉशिंगटन में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ चौथी मंत्री स्तरीय टू प्लस टू वार्ता की।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने वर्चुअल शिखर सम्मेलन में द्विपक्षीय तथा अंतरराष्ट्रीय महत्व के विभन्नि मुद्दों पर चर्चा की। टू प्लस टू वार्ता के दौरान  दोनों देशों ने अंतरक्षि और साइबर स्पेस तथा भारत की बहरीन में हुए बहुपक्षीय संयुक्त अभ्यास में हस्सिेदारी पर भी बात की बात की।

बाद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों पक्षों ने हिंद महासागर  क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने तथा कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने मुद्दे पर भी विचार विमर्श किया।

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