हाई कोर्ट ने परीक्षा नियमों में 17 फरवरी, 2020 को किया गया संशोधन किया निरस्त, 2015 के असंशोधित नियमों के तहत प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश

 

जबलपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। हाई कोर्ट ने पीएससी परीक्षा के संशोधित नियम 2020 को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि भर्ती प्रक्रिया को अब असंशोधित परीक्षा नियम 2015 के अनुसार संचालित व पूर्ण किया जाए। उक्त संशोधित नियम 2020 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली 55 याचिकाओं पर जस्टिस सुजय पाल व जस्टिस डीडी बंसल की युगलपीठ ने अपना सुरक्षित 89 पृष्ठीय फैसला गुरुवार को सुनाया।

इस फैसले के परिणामस्वरूप एमपीपीएससी परीक्षा 2019 की प्रारंभिक व मुख्य परीक्षाओं की चयन सूची फिर से बनानी पड़ेगी। याचिकाकर्ताओं चेतन कुमार सोलंकी, मप्र अजाक्स व अन्य की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने सुप्रीम कोर्ट के 2021 में दिए फैसले के हवाले से कहा कि यदि आरक्षित वर्ग का कोई उम्मीदवार मेरिट में अच्छे अंक लाता है तो उसका चयन सामान्य वर्ग में होगा और उसकी रिक्त सीट पर उसी आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार से भरी जानी चाहिए।

राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देश पर 2021 में एमपीपीएससी परीक्षा के उक्त नियम संशोधित किए, लेकिन इन्हें लागू किए बिना 2019 की परीक्षा के रिजल्ट घोषित कर दिए गए। यह अनुचित है। गत सुनवाई पर कोर्ट ने अंतरिम आदेश के जरिए पीएससी-2019 प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा व साक्षात्कार परीक्षा को विचाराधीन याचिकाओं के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया था। 31मार्च को बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित किया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने भी पक्ष रखा। सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अशीष आनन्द बर्नार्ड उपस्थित हुए।

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