कर्नाटक में हिजाब, हलाल और लाउडस्पीकर के बाद अब फल के व्यापार को लेकर विवाद शुरू है। हिंदुवादी संगठनों ने हिंदुओं से अपील की है कि वो फल बेचने के व्यापार में आएं क्योंकि इसपर मुसलमानों का कब्जा है।

हिजाब, हलाल और लाउडस्पीकर के बाद कर्नाटक में एक और विवाद ने जन्म ले लिया है। राज्य के कुछ हिंदुवादी संगठनों ने हिंदुओं से अपील की है कि वो फल बेचने के व्यापार में उतरें क्योंकि इस व्यापार पर मुसलमानों ने कब्जा जमा रखा है। हिंदु जनजागृति समिति ने मंगलवार को कहा कि फल बेचने वाले ज्यादातर मुसलमान हैं और उन्होंने पूरी मार्केट पर कब्जा जमाया हुआ है। ये लोग कई पीढ़ियों से फल बेच रहे हैं इसलिए नए फल व्यापारियों के लिए अपना व्यापार चलाने में दिक्कत हो रही है। समिति ने आगे कहा कि हम नहीं कह रहे कि आप किससे सामान खरीदें। आपका जिससे मन करता है उससे सामान खरीदें, हम बस ये चाहते हैं कि फल के व्यापार में हिंदु भी शामिल हों। समिति ने कहा कि हम सरकार से भी गुजारिश करते हैं कि वो इस काम में गरीब फल व्यापारियों की मदद करे।

इससे पहले बीजेपी के महासचिव सीटी रवि ने हलाल मीट को लेकर दिए बयान से विवाद खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा था हलाल मीट एक तरह का आर्थिक जिहाद है। उन्होंने कहा था हलाल मीट बेचने का पूरा कॉन्सेप्ट ही यही है कि मुसलमान ही आपस में व्यापार कर सकें। हलाल मीट बेचने वाला भी मुसलमान और खाने वाला भी मुसलमान।

राज्य के कुछ हिंदुवादी संगठनों ने मीट की दुकानों पर लगे हलाल मीट के सर्टिफिकेट को हटाना भी शुरू कर दिया है। हिंदु जागृति समिति, श्रीराम सेना और बजरंग दल जैसे संगठनों ने हिंदुओं से अपील की है कि वो सिर्फ और सिर्फ झटके का मीट खाएं जो हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार है। इसके अलावा कई संगठन मस्जिद की मीनार पर लगे लाउडस्पीकर हटाने की मांग कर रहे हैं। इस बारे में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसावराज बोमेई ने कहा कि अजान का मसला जबरदस्ती नहीं बल्कि सबसे बातचीत करके सुलझाया जाएगा।

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