कीव: रूस ने यूक्रेन (Russia Ukraine War) की राजधानी कीव पर कब्जा करने की कोशिश के दौरान पड़ोसी शहर बूचा में भयानक तबाही (Bucha War Crimes) मचाई है। रूसी सैनिकों को बूचा (bucha Killings) में जो भी इंसान दिखा, उन्होंने उसे अपना शिकार बना लिया। सड़कों पर खुले में पड़ी लाशें और बर्बाद हुए टैंक और आर्मर्ड व्हीकल शहर में हुई भीषण लड़ाई की गवाही दे रहे हैं। यूक्रेनी सेना को बूचा शहर (News about Bucha) में 400 से ज्यादा लाशें मिली हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की (News About Volodymyr Zelenskyy) जब बूचा का हाल जानने पहुंचे तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। जिसके बाद जेलेंस्की ने एक वीडियो जारी कर फ्रांस और जर्मनी के पूर्व नेताओं निकोलस सारकोजी और एंजेला मर्केल को जमकर लताड़ लगाई। उन्होंने अपरोक्ष तौर पर बूचा के नरसंहार के लिए इन दोनों नेताओं को दोषी ठहराया।

जेलेंस्की ने मर्केल और सारकोजी पर साधा निशाना
जेलेंस्की ने कहा कि मैं एंजेला मर्केल और निकोलस सारकोजी को बूचा आने के लिए आमंत्रित करता हूं, यह देखने के लिए कि रूस को 14 साल की रियायतों की नीति के कारण क्या हुआ है। ये नेता अपनी आंखों से देखें कि उत्पीड़ित और मारे गए यूक्रेनियन लोगों के शव बूचा की सड़कों पर कैसे पड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि 2008 में रोमानिया के बुखारेस्ट में नाटो शिखर सम्मेलन की 14वीं वर्षगांठ पर एक बहस के बाद नाटो ने जॉर्जिया और यूक्रेन को गठबंधन में शामिल करने और सदस्यता का वादा कि था, हालांकि इसे लेकर कोई समय सीमा नहीं दी गई थी।

फ्रांस और जर्मनी पर रूस से डरने का आरोप लगाया
यूक्रेन के राष्ट्रपति ने नाटो देश के राजनेताओं पर रूस के बेतुके डर को पनाह देने का आरोप लगाया। जेलेंस्की ने कहा कि उन्होंने सोचा कि यूक्रेन को मना करके, वे रूस को खुश कर सकते हैं। उन्हें आशा थी कि ऐसा कर वे रूस को यूक्रेन का सम्मान करने और हमारे साथ सामान्य रूप से रहने के लिए मना सकते हैं। हालांकि बाद में जेलेंस्की ने जोर देकर कहा कि मैंने यूक्रेन में हुए अपराधों के लिए रूसी सैनिकों को छोड़कर पश्चिम या किसी और को दोष नहीं दिया है, लेकिन हमें अनिर्णय के बारे में बात करने का अधिकार है।

आरोपों पर मर्केल ने दी सफाई, सारकोजी ने चुप्पी साधी
जेलेंस्की के आरोपों पर एंजेला मर्केल ने अपने प्रवक्ता के जरिए सफाई देने की कोशिश की है। मर्केल ने कहा कि वह बुखारेस्ट में 2008 के नाटो शिखर सम्मेलन के संबंध में अपने फैसलों पर कायम हैं। हालांकि, उन्होंने यूक्रेन के साथ खड़े होने और यूक्रेन के खिलाफ रूस की बर्बरता और युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों का भी समर्थन किया। वहीं, निकोलस सारकोजी की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन जर्मनी और फ्रांस ने इस युद्ध के दौरान भी यह स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें यूक्रेन की ओर से परमाणु हथियारों से लैस रूस से लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है।

यूक्रेन की नाटो सदस्यता की कहानी जानिए
बुखारेस्ट शिखर सम्मेलन में यूक्रेन और जॉर्जिया को नाटो की सदस्या देने को लेकर चर्चा की गई थी। तब नाटो के अधिकतर सदस्य देश यूक्रेन और जॉर्जिया को फॉर्मल मेंबरशिप ऐक्शन प्लान देने को तैयार थे, जिसकी मदद से ये दोनों देश खुद को नाटो की सदस्यता के योग्य बनाने की कोशिश करते। उस समय अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश ऐसा करने के पक्ष में थे। तब निकोलस सारकोजी और एंजेला मर्केल ने इसका विरोध किया। कई अन्य नाटो सदस्य देशों ने मर्केल और सारकोजी का समर्थन करते हुए कहा कि नाटो सदस्यता योजनाओं का विस्तार करने से रूस और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ संबंधों को गंभीर नुकसान होगा।

अमेरिकी रक्षा मंत्री ने खुद किया था विरोध
तब बुश प्रशासन में रक्षा मंत्री रॉबर्ट एम गेट्स ने कहा था कि जॉर्जिया और यूक्रेन को नाटो सदस्यता की पेशकश वास्तव में आवश्यक्ता से अधिक थी। उन्होंने इस सदस्यता को लापरवाही से अनदेखा कर दिया और इसे खुद के राष्ट्रीय हित में माना। पुतिन ने भी बुखारेस्ट में यही बात कही थी। उन्होंने कहा था कि जॉर्जिया और यूक्रेन को नाटो में शामिल करना लाल रेखा को पार करने जैसा है। देर रात तक चली बैठक में नाटो के सभी सदस्य देश इस बात पर सहमत हो गए कि जॉर्जिया और यूक्रेन को मेंबरशिप ऐक्शन प्लान की पेशकश नहीं की जानी चाहिए, लेकिन भविष्य में इन दोनों देशों को सदस्यता देने का वादा जरूर किया गया।

नाटो सदस्यता के विरोध में रूस ने यूक्रेन और जॉर्जिया पर किया हमला
तब अमेरिकी सरकार में इंटेलिजेंस एनलिस्ट और रूस मामलों की जानकार फियोना हिल्स ने राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश को मनाने की खूब कोशिश की थी। उन्होंने बुश से कहा था कि वो यूक्रेन को नाटो की सदस्यता देने को लेकर कोई भी वादा न करें, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई। इसके ठीक चार महीने बाद रूस ने जॉर्जिया पर हमला कर दिया और उसके दो इलाकों को स्वतंत्र देश का दर्जा दे दिया। 2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा जमा लिया और पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुहान्स्क में अलगाववादियों को संरक्षण देना शुरू कर दिया।

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