काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा अपनी सफल भारत यात्रा के बाद काठमांडू लौट आए हैं। नेपाली प्रधानमंत्री ने भारत यात्रा के दौरान कई समझौतों पर हस्‍ताक्षर किया और भारत की सांस्‍कृतिक राजधानी कहे जाने वाले शहर वाराणसी का भी दौरा किया। हालांकि इस यात्रा के दौरान शेर बहादुर देउबा के जिस कदम की नेपाल में सबसे ज्‍यादा चर्चा हो रही है, वह है भारत में सत्‍तारूढ़ बीजेपी के नई दिल्‍ली स्थित मुख्‍यालय जाना। देउबा पहले ऐसे नेपाली प्रधानमंत्री हैं जो भारत में किसी राजनीतिक दल के कार्यालय गए हैं।

पीएम देउबा के बीजेपी कार्यालय जाने पर देश में विरोध के स्‍वर उठने लगे और इसे नेपाल के चीन समर्थक वाम दलों से जोड़कर देखा जाने लगा। इसके बाद सत्‍तारूढ़ नेपाली कांग्रेस को सफाई देनी पड़ी है। नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खडका ने देउबा के बीजेपी कार्यालय जाने का बचाव किया और कहा कि नेपाल के प्रधानमंत्री नेपाली कांग्रेस के अध्‍यक्ष के नाते बीजेपी के कार्यालय गए थे। खडका ने कहा, ‘देउबा ने बीजेपी के मुख्‍यालय का दौरा नेपाली कांग्रेस के अध्‍यक्ष के नाते किया था। वह वहां पर प्रधानमंत्री के रूप में नहीं थे। इस यात्रा का मकसद दोनों दलों के बीच रिश्‍ते बेहतर बनाना था। नेपाली कांग्रेस दुनिया के अन्‍य देशों के राजनीतिक दलों से भी इस तरह के संबंधों का विस्‍तार कर रही है।

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ रिश्‍तों का जवाब!
नेपाल में देउबा के हिंदू राष्‍ट्रवादी पार्टी बीजेपी के मुख्‍यालय में जाने पर काफी आलोचना शुरू हो गई थी। कई नेपाली विश्‍लेषक इससे आश्‍चर्य में थे और उन्‍होंने कहा कि यह प्रोटोकॉल का उल्‍लंघन है। साल 2018 में केपी ओली के बाद यह किसी नेपाली प्रधानमंत्री की पहली भारत यात्रा थी। देउबा ने यह भारत यात्रा ऐसे समय पर की है जब अमेरिका के 50 करोड़ डॉलर की सहायता को मंजूरी दी गई है और चीन के विदेश मंत्री ने नेपाल की यात्रा की है।

नेपाल में अब तक का रिवाज रहा है कि सत्‍ता संभालने के बाद देश का प्रधानमंत्री सबसे पहले भारत की यात्रा पर जाता है। माना जा रहा है कि देउबा ने चीन समर्थक केपी ओली के शासन काल के दौरान खराब हो चुके रिश्‍तों को सुधारने की कोशिश की है। वहीं उनकी बीजेपी ऑफिस जाने को नेपाल के वाम दलों के चीन दौरे और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ रिश्‍तों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है। नेपाल के कम्‍युनिस्‍ट नेता अक्‍सर चीन जाते रहते हैं। यही नहीं चीनी की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी नेपाल के राजनीतिक दलों को ट्रेनिंग भी देती रहती है। विश्‍लेषकों का कहना है कि अब देउबा ने बीजेपी से दोस्‍ती बढ़ाकर ओली ओर प्रचंड के साथ-साथ चीन को भी बड़ा संदेश दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *