दो साल का मासूम दौड़कर घर की ओर आ रहा था, उसी समय गाड़ी ने उसे टक्कर मार दी, जिससे उसका एक पैर कट गया। सूरजपुर जिले के उदयपुर ब्लॉक में रहने वाला पवन अब 6 साल का हो चुका है। एक पैर के सहारे घिसट कर चलता है। परिवार वालों के मन में उसके भविष्य को लेकर कई तरह की आशंकाएं और चिंता है। लेकिन राजधानी के माना कैम्प स्थित पुनर्वास केन्द्र ने उनकी चिंता दूर कर दी है। यहां आकर पवन को नकली पैर के सहारे चलते-दौड़ते देखकर अब उनके मन में नई आस जगी है। पवन के दादा श्री कोहित राम ने बताया कि पवन अपने हम उम्र बच्चों के साथ खेल भी नहीं पाता था। जब से पुनर्वास केन्द्र में उसको नकली पैर लगा है, वह खुशी से दौड़ने की कोशिश करता है। उन्होंने कहा कि पवन के भविष्य की उन्हें बहुत चिन्ता थी, लेकिन पैर लगने के बाद उसे चलते देखकर उसके जीवन को लेकर संतोष आ गया है।

नन्हें पवन की तरह हर उम्र और वर्ग के कई जीवन को समाज कल्याण विभाग द्वारा माना कैम्प में संचालित पुनर्वास केन्द्र ‘फिजिकल रिफरल रिहैबिलिटेशन संेटर‘ से नई उम्मीद मिली है, और उनका जीवन तेजी से आगे बढ़ने लगा है। यहां दिव्यांगजन को कृत्रिम हाथ-पैर,कैलीपर्स,सहायक उपकरण, कस्टम व्हील चेयर, बैसाखी, एल्बो क्रच, स्पाइनल ब्रेस, सी.पी. चेयर निःशुल्क बनाकर देने के साथ फिजियोथेरेपी और स्पीच थेरेपी की सुविधा दी जा रही है। केन्द्र ने अब तक 4 हजार से अधिक उपकरण प्रदान कर कई दिव्यांग जन के जीवन को संवारकर सुविधाजनक बनाया है।

दिव्यांग जन के जीवन को नई दिशा देने और उन्हें हाथों-पैरों का सहारा देने के लिए समाज कल्याण विभाग ने दूर-दराज क्षेत्रों में उनके चिन्हांकन का काम शुरू किया है। इसकी शुरूआत विगत अक्टूबर माह में दूरस्थ क्षेत्र सरगुजा में शिविर लगाकर की गई। यहां विशेषज्ञों द्वारा 140 दिव्यांग हितग्राहियों को चिन्हांकित किया गया। इनमें से हाथ और पैरों की अलग-अलग अक्षमता वाले मरीज थे। अब इन्हें 155 क्रत्रिम उपकरण निःशुल्क प्रदान कर उनकी जीवन में फिर से गति लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए 140 दिव्यांगजन में 65 हितग्राहियों के नकली पैर तैयार करने के लिए पीआरआरसी सेंटर लाकर नाप लिया जा रहा है। पहले बैच में जब 14 दिव्यांगों को कृत्रिम पैर लगाए गए तो उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। उनमें जीवन जीने की फिर से ललक जाग उठी। विशेषज्ञों के प्रशिक्षण और निर्देशों से वे एक दिन में ही पग-पग चलने लगे।

पहले बैच में पवन की तरह सरगुजा के लैंगा गांव से आए सातवीं कक्षा के छात्र श्री रामनारायण ने बताया कि जन्म से ही उनका एक पैर खराब है। लाठी की सहायता से वह स्कूल जाता है। कृत्रिम पैर लग जाने से अब उसे अच्छी तरह चलते बन रहा है। अब स्कूल के अलावा वह कही भी बिना परेशानी आना-जाना कर सकता है। इसी तरह नारायणपुर गांव के रहने वाले सातवीं कक्षा के छात्र श्री छत्रपाल का भी एक पैर जन्म से ही खराब था। छत्रपाल के नाना श्री तेजराम यादव ने बताया कि छत्रपाल का एक पैर खराब होने के कारण उसे चलने में बहुत दिक्कत होती है। अब सरकार की मदद से पैर बन जाने से उसका भविष्य बन गया है। इसी तरह उदयपुर के सरगंवा निवासी 50 वर्षीय जयकरण सिंह ने बताया कि 2010 में एक्सीडेंट में उनका पैर काटना पड़ा। तब से वे बैसाखी के सहारे चलते हैं। नकली पैर लग जाने से अब वे अच्छी तरह अपना काम कर सकते हैं।

लखनपुर के श्री रतन सिंह ने बताया कि वे खेती-किसानी का काम करते हैं। कुछ साल पहले हुई दुर्घटना में उनका पैर काटना पड़ा। उनके क्षेत्र के जनपद पंचायत में शिविर लगने की जानकारी उन्हें मिली तो वह तुरंत पहुंच गए। रायपुर की टीम ने उनके पैर का नाप लिया। अब पैर लग गया है, और वह अच्छी तरह चल पा रहे हैं। इसी तरह उदयपुर निवासी श्री हीरालाल देवांगन ने बताया कि 8-10 साल की उम्र में रेल्वे लाईन में उनका पैर कटा गया था। समाज कल्याण विभाग ने पैर बनाकर दिया है। साथ ही ट्रेनिंग भी दी है, इससे वे अच्छी तरह चलने लगे है। दिव्यांगजन को रायपुर लाने-लेजाने से लेकर उनके खाने रहने की व्यवस्था भी राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क की गई। सभी दिव्यांगजन ने राज्य सरकार आभार जताते हुए कहा कि सरकार ने संवेदनशीलता के साथ उनके द्वारा खुद पहुंचकर उनकी सहायता कर रही है।

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