ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं में हुनर और हौसले की कमी नहीं है। उनके हौसलों को अवसर मिलने सेेेे अब बड़ी संख्या में महिलाओं के जीवन में बड़ा परिवर्तन आने लगा है। राज्य शासन द्वारा संचालित ग्रामीण आजीविका मिशन योजना के तहत बिहान योजना से जुड़कर महिलाएं कई हुनरमंद काम अपनाकर आर्थिक रूप से मजबूत हुई हैं। इससे वे अपने घर परिवार का भी सहारा बन रही हैं। इन्ही महिलाओं में महासमुन्द जिले के सरायपाली विकासखण्ड के ओड़िशा अंचल से लगे दूरस्थ ग्राम किसड़ी की सीता महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं भी शामिल है। जिन्होंने अपने सूती कपड़ा बुनने के हुनर से अपनी अलग पहचान बनाई है। उनके कपड़े की मांग आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहरी क्षेत्रों में भी है, जिससे वे प्रतिवर्ष चार-पांच लाख रुपए का मुनाफा कमा लेती है।

समूह की अध्यक्ष श्रीमती हेमकांति मेहर एवं सचिव श्रीमती पद्मिनी मेहर ने बताया कि उनके समूह में 10 महिला सदस्य है। वे लोग पहले अपने-अपने परिवार के साथ कपड़ा बुनने का कमा किया करते थे। फिर उन्होंने आर्थिक रूप से सशक्त होने के लिए एक साथ जुड़कर स्व-सहायता समूह गठित किया और साथ मिलकर धागा खरीदकर मशीन से सूती वस्त्र बनाने का कार्य प्रारम्भ किया। बिहान योजना के माध्यम से उन्हें समय-समय पर विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।
समूह के सदस्य सम्बलपुरी प्रिटेंड साड़ियां, ब्लॉऊज, कमीज, लुंगी, रूमाल, नेपकीन, पर्दा, बेडशीट, चादर, तकिया कवर सहित अन्य कलाकृतियों के कपड़े मांग के अनुसार बनाते हैं। उन्होंने बताया कि आसपास के क्षेत्रों में लगने वाले मेले, राज्योत्सव सहित राजधानी रायपुर में भी आयोजित होने वाले विभिन्न प्रकार के प्रदर्शन-सह बिक्री केन्द्रों पर भी सूती वस्त्र  का स्टॉल लगाकर बिक्री किया जाता है, जिससे उन्हें लाभ प्राप्त होता है। इस कार्य को अपनाकर तथा इससे होने वाले फायदे को लेकर स्व-सहायता समूह की महिलाएं काफी खुश हैं।

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